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अन्धानुकरण ! एक शहर में राजा की सवारी निकल रही थी। राजकर्मचारियों ने देखा कि जुलूस के मार्ग में किसी बच्चे ने टट्टी कर दी है। राजा की सवारी नजदीक आ चुकी थी। अतः महतर को बुलवाकर उठवाने का समय नहीं रहा था। तुरन्त, एक दूरन्देश ने वहीं खड़े हुए व्यक्तियों से फूल लेकर उस पर डाल दिए।
राजा की सवारी निर्विघ्न गुजर जाने के बाद भीड़ के लोगों में से कुछ ने कौतूहलवश जमीन पर फूल चढ़ाने का कारण पूछा, तो किसी मसखरे ने कह दिया-"पृथ्वी से गंदी देवी प्रकट हुई है।"
इतना सुनना था कि हिए के अंधों ने फूल चढ़ाने शुरू कर दिए । और, एक अवसरवादी मजहबी दीवानगी के नाम पर आँख के अन्धे और गांठ के पूरे लोगों से चन्दा उगाह कर, उसी स्थान पर मन्दिर बनवाकर महन्त बन बैठा !
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अन्धानुकरण
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