Book Title: Sagar ke Moti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 21
________________ चार मुए सिक्ख पंथ के दशम गुरु गोविन्दसिंहजी के चार पुत्र थे । उनके दो बड़े पुत्र चमकोर के युद्ध में लड़ते हुए मारे गए। और दो छोटे पुत्र, पकड़े जाकर सरहिन्द में मुसलमानों द्वारा दीवार में चुन दिए गए। उन्हें मुसलमान बन जाने को कहा गया, किन्तु वे अपने धर्म पर दृढ़ रहे और हँसते हँसते ही धर्म पर बलिदान भी हो गए । गुरु गोविन्दसिंह फिर भी निराश न हुए । उनके हृदय में अब भी धर्म रक्षा के लिए बलिदान होने की तरंगें उठ रही थीं । जब वे घर पर आए, तो बच्चों की माता ने रोते हुए पूछा- 'मेरे पुत्र कहाँ हैं ? आप उन्हें कहाँ मौत के मुँह में डाल आए ।' इस पर गुरु गोबिन्दसिंह ने गंभीर भाव से जो उत्तर दिया, वह देश भक्ति के क्षेत्र में अपना सानी नहीं रखता । उन्होंने कहा १२ तो क्या हुआ, जीवित कई हजार Jain Education International · " इस भारत के सीस पर, चारों दीने वार । चार मुए तो क्या हुआ, जीवित कई हजार ॥” For Private & Personal Use Only सागर के नोती : www.jainelibrary.org

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