Book Title: Sagar ke Moti
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 27
________________ शान्तचित्त रखने का अभ्यास यूनान में डायोजिनोज नामक एक प्रसिद्ध तत्त्व - वेत्ता हो गया है । वह प्रतिदिन एक पत्थर की मूर्ति के सामने कुछ देर तक भीख माँगता था । एक दिन उसके एक मित्र ने उससे इस निरर्थक कार्य का रहस्य पूछा। डायोजिनीज ने कहा- 'मैं इससे भीख माँग कर किसी से कुछ न मिलने पर शान्त - चित्त रखने का अभ्यास कर रहा हूँ ।” चित्त वृत्तियों का संयम इच्छा मात्र अथवा कोरे ज्ञान से नहीं, निरन्तर अभ्यास से होता है । पर - निन्दा की उपेक्षा यूनान के सुप्रसिद्ध मनीषी अरस्तू से एक दिन किसी ने कहा कि अमुक व्यक्ति ने आपकी अनुपस्थिति में आपको गाली दी है । अरस्तू ने हँस कर कहा - " वह मूर्ख चाहे, तो मेरी अनुपस्थिति में मुझे पीट भी सकता है ।" पीठ पीछे होने वाली निन्दा की ओर ध्यान देना व्यर्थ है १८ · Jain Education International For Private & Personal Use Only सागर के मोती : www.jainelibrary.org

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