Book Title: Pushkarane Bbramhano Ki Prachinta Vishayak Tad Rajasthan ki Bhul
Author(s): Mithalal Vyas
Publisher: Mithalal Vyas

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org किक प्राचीन ऐतिहासिक सम्पूर्ण द्वत्तान्त बहुत विस्तार पूर्वक 'पुष्करणोत्पत्ति नामक एक महान् पुस्तक में लिखे जावेंगे । वह पुस्तक कई वर्षों के परिश्रम द्वारा संग्रह करके कई भागों में अभी मैं बना रहा हूँ जिसका विवरण इस भूमिका के पीछे 'पुष्करणे ब्राह्मणों से निवेदन' में लिखा है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पाठकों से निवेदन है कि इस पुस्तक को कमसे कम एक बार तो आद्योपान्त अवश्य पढ़ लें वा सुन लें। क्यों कि इस का पूर्ण रहस्य तभी विदित होगा कि जब प्रारम्भ से लगा के अन्त तक पढ़ लेंगे वा सुन लेंगे । किन्तु ऐसा न करके केवळ आगे पीछे के १०।५ ही पन्ने देख लेने से तो न तो आपको ही कुछ आनन्द प्राप्त होगा और न मेरा ही परिश्रम सफल हो सकेगा । यद्यपि मैंने ज्योतिष, वैद्यक, धर्म शास्त्र आदि कई विषयों पर तो ग्रन्थ लिखे हैं, तथा उनमें से कुछ तो प्रकाशित भी कर चुका हूं और शेष क्रमसे प्रकाशित करता जाता हूं, किन्तु इस ( इतिहास ) विषयका मेरा यह कार्य प्रथम ही बार होने से इस में यदि किसी प्रकार की त्रुटि रह गई हो तो मुझे क्षमा करें । सूचित करनेपर द्वितीयावृत्ति में उसका उचित संशोधन कर दिया जावेगा । सं० १९६६ वि० कार्त्तिक कृष्णा १० इस के अतिरिक्त प्रेस दूर होने और पुस्तक छपाने में शीघता करने तथा कार्य वशात् मेरा भी निवास बराबर एक ही स्थान में न रहने आदि कारणों से प्रूफ ठीक न शोध सकने आदि के कारण जो अशुद्धियें रह गई हैं उनकी पाठकों से क्षमा चाहता हूँ । पुनरावृत्ति में शुद्ध कर दी जायेंगी । स्वजाति का लघु सेवक, व्यास मीठालाल पाली - मारवाड़ । For Private And Personal Use Only

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