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नार्थाऽऽलोको कारणं परिच्छेद्यत्वात्तमोवत्॥6॥ प्रसिद्ध हि तमसो विज्ञानप्रतिबन्धकत्वेनातत्कारणस्यापि परिच्छेद्यत्वम्।
19. ननु ज्ञानानुत्पत्तिव्यतिरेकेणान्यस्य तमसोऽभावात्कस्य दृष्टान्ता? इत्यप्यसङ्गतम्: तस्यार्थान्तरभूतस्यालोकस्येवात्रैवानन्तरं समर्थयिष्यमाणत्वात्। ननु परिच्छेद्यत्वं च स्यात्तयोस्तत्कारणत्वं च अविरोधात्ः इत्यप्यपेशलम्: तत्कारणत्वे तयोश्चक्षुरादिवत्परिच्छेद्यत्वविरोधात्।
सूत्रार्थ- पदार्थ और प्रकाश ज्ञान के कारण नहीं हैं क्योंकि वे परिच्छेद्य (जानने योग्य) हैं जैसे अन्धकार जानने योग्य पदार्थ है। देखा जाता है कि अन्धकार ज्ञान का प्रतिबंधक होने से उसका कारण नहीं होते हुए भी उस ज्ञान का विषय अवश्य है इसी प्रकार पदार्थ और प्रकाश है, वे ज्ञान के कारण नहीं हैं, मात्र ज्ञान के द्वारा जानने योग्य हैं। इस संदर्भ में अन्य दार्शनिकों की शंकाओं का समाधान जैनाचार्य इस प्रकार कर रहे हैं
19. शंका- ज्ञान की उत्पत्ति नहीं होना यही तो अन्धकार है। वह अन्य कोई वास्तविक पदार्थ नहीं है। इसलिए अन्धकार का दृष्टान्त देना ठीक नहीं है।
समाधान- ऐसी बात नहीं है, प्रकाश के समान अन्धकार भी एक पृथक् वास्तविक पदार्थ है। इस बात को हम आगे भली प्रकार सिद्ध करेंगे।
शंका- पदार्थ और प्रकाश जानने योग्य भी हैं और ज्ञान के कारण भी हैं अर्थात् ज्ञेय और कारण दोनों एक साथ होने में कोई विरोध की बात नहीं है। आपने कहा कि पदार्थ तथा प्रकाश, परिच्छेद्य होने से ज्ञान के कारण नहीं हो सकते, यह बात नहीं है।
समाधान- यह कथन असुन्दर है, पदार्थ और प्रकाश को ज्ञान का कारण मानने पर वे परिच्छेद्य नहीं रह सकेंगे, जैसे कि चक्षु आदि इन्द्रियाँ ज्ञान का कारण है अतः परिच्छेद्य नहीं हैं।
20. शंका-पदार्थ ज्ञान के कारण हैं इस बात का निर्णय
60:: प्रमेयकमलमार्तण्डसारः