Book Title: Pramey Kamal Marttandsara
Author(s): Anekant Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 306
________________ 270 प्रमेयकमलमार्तण्डसारः 6/46-47 अव्युत्पन्नव्युत्पादनार्थं पञ्चावयवोपि प्रयोगः प्राक् प्रतिपादितस्तत्प्रयोगाभासः कीदृश इत्याह बालप्रयोगाभासः पञ्चावयवेषु कियद्धीनता ॥46॥ यथाग्निमानयं देशो धूमवत्त्वात्, यदित्थं तदित्थं यथा महानस इति 147॥ करते हुए तीसरे परिच्छेद में कहा गया था कि जो पुरुष अव्युत्पन्न है-अनुमान वाक्य के विषय में अजान है उसके लिये अनुमान में पाँच अवयव भी प्रयुक्त होते हैं अन्यथा दो ही प्रमुख अवयव होते हैं इत्यादि, सो अब प्रश्न होता है कि उस अव्युत्पन्न-पुरुष के प्रति किस प्रकार का अनुमान प्रयोग प्रयोगाभास कहलायेगा? इसी का समाधान अगले सूत्र द्वारा करते हैंबालप्रयोगाभास बालप्रयोगाभासः पञ्चावयवेषु कियद्धीनता 146।। अर्थ- बाल प्रयोग पाँच अवयव सहित होना था उसमें कमी करना बाल प्रयोगाभास है, जैसे यहाँ अग्नि है [1. साध्य] क्योंकि धूम है [2. हेतु] जहाँ धूम होता है वह अग्नि अवश्य होती है जैसे रसोईघर [3. दृष्टान्त] यहाँ पर भी धूम है [4. उपनय] अतः अवश्य ही अग्नि है [5. निगमन] ये अनुमान के पाँच अवयव है इनमें से एक या दो आदि अवयव प्रयुक्त नहीं होना बालप्रयोगाभास है। यथा अग्निमानयं देशो धूमवत्वात् यदित्थं तदित्थं यथा महानसः ॥47॥ सूत्रार्थ- स्वयं माणिक्यनंदी आचार्य प्रयोग करके बतला रहे हैं कि- यदि कोई पुरुष अव्युत्पन्न व्यक्ति के लिये अनुमान के पाँच अवयव न बतलाकर तीन ही बताता है तो वह बाल प्रयोगाभास कहलायेगा अर्थात्- यह प्रदेश अग्नि सहित है, क्योंकि धूम दिखायी दे रहा है जो इस तरह धूम सहित होता है वह अग्निमान होता है, जैसे रसोईघर । इस अनुमान में तीन ही अवयव हैं आगे के उपनय और नियमन ये दो अवयव नहीं बताये। अतः यह बालप्रयोगाभास है।

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