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प्रमेयकमलमार्तण्डसारः
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इदमनुमानाभासम् ॥11॥
7. साधनात्साध्यविज्ञानमनुमानमित्युक्तम्। तद्विपरीतं त्विदं वक्ष्यमाणमनुमानाभासम्। पक्षहेतुदृष्टान्तपूर्वकश्चानुमानप्रयोगः प्रतिपादित इति। तत्रेत्यादिना यथाक्रमं पक्षाभासादीनुदाहरति।।
तत्र अनिष्टादिः पक्षाभासः ॥12॥ तत्रानुमानाभासेऽनिष्टादिः पक्षाभासः। तत्र
अनिष्टो मीमांसकस्यानित्यः शब्द इति ॥13॥ के पुत्र काले हैं अतः गर्भ में आया हुआ पुत्र भी काला ही हो। जो साधन अर्थात् हेतु साध्य के साथ अविनाभावी हो साध्य के बिना नहीं होता हो उसी को हेतु बनाना चाहिये ऐसे हेतु से ही अनुमान सही कहलाता है अन्यथा वह अनुमानाभास होता है और ऐसे अविनाभाव संबंध के नहीं होते हुए भी उसको मानना तर्काभास है। अनुमानाभास
इदमनुमानाभासम् ॥11॥ सूत्रार्थ- अब यहाँ से अनुमानाभास प्रकरण शुरू होता है।
7. साधन से होने वाले साध्य के ज्ञान को अनुमान कहते हैं ऐसा अनुमान का लक्षण पहले कहा था इससे विपरीत ज्ञान को अनुमानाभास कहते हैं पक्ष हेतु, दृष्टांतपूर्वक अनुमान प्रयोग होता है ऐसा प्रतिपादन किया था। उन पक्ष आदि का जैसा स्वरूप बताया है उससे विपरीत स्वरूप वाले पक्ष आदि का प्रयोग करने से पक्षाभास आदि बनते हैं और इससे अनुमान भी अनुमानाभास बनते हैं अब क्रम से इनको कहते हैंपक्षाभास
तत्र अनिष्टादिः पक्षाभासः ॥12॥
सूत्रार्थ- अनिष्ट आदि को पक्ष बनाना पक्षाभास है, इष्ट, अबाधित और असिद्ध ऐसा साध्य होता है, साध्य जहाँ पर रहता है उसे पक्ष कहते हैं, जिस पक्ष में अनिष्टपना हो या बाधा हो अथवा सिद्ध हो वे सब पक्षाभास है।