Book Title: Paumchariyam Part 02
Author(s): Parshvaratnavijay
Publisher: Omkarsuri Aradhana Bhavan

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Page 38
________________ २१० पउमचरियं सेसाण जिणवराणं, अणुपरिवाडीए पुव्वजम्मम्मि । नरवइधम्मपुरीओ, एयाओ सुरपुरिसमाओ ॥११॥ तीर्थकराणां द्विचरमाः पूर्वभवा :पढमोऽत्थ वज्जनाभो, बीओ पुण विमलवाहणो होइ । अह विउलवाहणो वि य, महाबलो अइबलो चेव ॥१२॥ अवराइओऽत्थ अन्नो, हवइ तहा नन्दिसेणनामो य । पउमो य महापउमो, एत्तो पउमुत्तरो चेव ॥१३॥ राया पङ्कयगुम्मो, अणुपरिवाडीए नलिणिगुम्मो य । पउमासणो य एत्तो, पउमरहो दढरहो चेव ॥१४॥ मेहरहो सीहरहो, वेसमणो चेव हवइ सिरिधम्मो । सुवइट्ठो सुरजेट्ठी, सिद्धत्थो चेव आणन्दो ॥१५॥ तह चेव सुणन्दो खलु, इमाणि तित्थंकराण पुव्वभवे । नामाणि आसि सेणिय, सिट्ठाइँ मए कमेणं तु ॥१६॥ तीर्थकराणां द्विचरमपूर्वजन्मगुरवःपढमो य वज्जसेणो, अरिदमणो तह सयंपभो चेव । अह विमलवाहणो पुणो, गुरवो सीमंधरो धीरो ॥१७॥ पिहियासवो महप्पा, अरिदमणो तह जुगंधरो य मुणी । सव्वजणाणन्दयरो, सत्थाओ वज्जदत्तो य ॥१८॥ गुरवो य वज्जनाभो, सव्वसुगुत्तो तहा मुणेयव्वो । चित्तारक्खो अह विमलवाहणो घणरहो चेव ॥१९॥ अह संवरो य एत्तो, साहू वि य संवरो मुणेयव्वो । वरधम्मो य सुनन्दो, नन्दो य वईयसोगो य ॥२०॥ भणिओ य डामरमणी, पोट्टिल्लो चेव पुव्वजम्मम्मि । तित्थयराणं एए, कमेण गुरवो मुणेयव्वा ॥२१॥ शेषाणां जिनवराणामनुपरिपाट्या पूर्वजन्मनि । नरपति धर्मपूर्य एताः सुरपुरिसमाः ॥११॥ तीर्थकराणां द्विचरमाः पूर्वभवा: - प्रथमोऽत्र वज्रनाभो द्वितीयः पुन विमलवाहनो भवति । अथ विपुलवाहनोऽपि च महाबलोऽतिबल श्चैव ॥१२॥ अपराजितोऽत्रान्यो भवति तथा नन्दिसेननामा च । पद्मश्च महापद्म इत: पद्मोत्तर श्चैव ॥१३॥ राजापङ्कजगुल्मोऽनुपरिपाट्या नलिनिगुल्मश्च । पद्मासनश्चेतः पद्मरथो दृढरथ श्चैव ॥१४॥ मेघरथः सिंहरथो वैश्रमण श्चैव भवति श्रीधर्मः । सुप्रतिष्ठः सुरज्येष्ठः सिद्धार्थ एवानन्दः ॥१५॥ तथैव सुनन्दः खलु इमानि तीर्थकराणां पूर्वभवे । नामान्यासन् श्रेणिक ! शिष्टानि मया क्रमेण तु ॥१६॥ तीर्थकराणां द्विचरमपूर्वजन्मगुरवः - प्रथमश्च वज्रसेनोऽरिदमनस्तथा स्वयंप्रभ श्चैव । अथ विमलवाहनः पुन गुरवः सीमंधरो धीरः ।।७।। पिहिताश्रवो महात्माऽरिदमनस्तथा युगंधरश्च मुनिः । सर्वजनानन्दकर: सार्थको वज्रदत्तश्च ॥१८॥ गुरवश्च वज्रनाभः सर्व सुगुप्तस्तथा ज्ञातव्यः । चित्तरक्षोऽथ विमलवाहनः धनरथश्चैव ॥१९॥ अथ संवरश्चेतः साधुरपि च संवरो ज्ञातव्यः । वरधर्मश्च सुनन्दो नन्दश्च व्यतीतशोकश्च ॥२०॥ भणित श्च डामरमुनिः पोट्टिल श्चैव पूर्वजन्मनि । तीर्थकराणामेते क्रमेण गुरवो ज्ञातव्याः ॥२१॥ १. अमियसोगो-प्रत्य०। Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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