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( १६ )
पत्रीमार्गप्रदीपिका |
युवा ३ वृद्ध ४ मृत ५ कही है और सम ( बेकी) राशिमें वह बालादि अवस्था विपरीतक्रमसे ( मृत १ वृद्ध २ युवा ३ कुमार ४ बाल ५ ) कही है ॥ १० ॥
बालाद्यवस्थासारणीचक्रम्.
६
बाल
१२ कुमार युवा वृद्ध मृत वृद्ध
१८ २४ ३०
मृत
युवा कुमार बाळ समर राशी
मंश:
विधम रानी
सू. युवा
अंशके क्रमसे तीसरे विभाग में है अतएव तीसरी युवा अवस्था में हुआ. इसी प्रकार
शेष चंद्रादि ग्रहकी अवस्था जानना ||
उदाहरण । सूर्य १० | १६ | ५३/३९ यह विषमराशिका है और छः छः
अथ बालाद्यवस्थाचक्रम्
चं. मं. बु. गु. शु. श. रा. बाळ वृद्ध कुमार | मृत | युवा | मृत | बाल
अथ दृष्टिसाधनमाह धरणीधरः ।
दृष्ट्रा विहीन दृश्यस्य क्रमादेकादिभे दृशः । भागाईं तिथियुग्भागा भागाद्दनशराब्धयः || ११| भोग्यभागाद्विनिघ्नांशाः क्रमात्षड्भाधिके ग्रहे । दिग्भ्यः शुद्धे लवाद्धं च ज्ञेया लिप्तादिका दृशः ॥ १२ ॥ अब धरणीधर दृष्टिसाधन कहते हैं- देष्टाग्रहको हीन करना दृश्य ग्रहमेंसे क्रमसे एकको आदि ले शेष राशियोंकी दृष्टि जानना || एक राशि शेष बचे तो राशि विना अंशोंको अर्द्ध (आधे) करना, यदि दो राशि शेष रहें तो राशि विना अंशोंमें १५ पंद्रह युक्त करना और तीन राशि शेष बच्चे तो अंशोंको अर्द्ध ( आधे ) करना और ४५ पैतालीसमें से शोधना ॥ ११ ॥ चार ४ राशि शेष बचे तो भोग्यांश (राशि विना अंशों को ३० तीस से हीन करना ) यदि ५ पांच राशि शेष बचे तो राशि बिना अंशको द्विगुण करना और क्रमसे छः ६ सात ७ आठ ८ नव ९ राशि शेष बचे तो शेष राश्यादिकों को १० दश राशिमेंसे शोधना - शेष बचे उसके अंश करके अर्ध ( आधे ) करना, जो आवे वह कलादिक दृष्टि जाननी ॥ १२ ॥
१ यस्य ग्रहस्य दृष्टिरानीयते बसौ द्रा-जिस ग्रहकी दृष्टि लाना हो वह द्रष्टा । २ यं प्रहं प्रत्यानीयते असौ दृश्य :- जिस ग्रहपर दृष्टि लाना हो वह दृश्य होता है ।
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