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(११२) वर्षप्रदीपकम् । मषगोनक्रकन्याकान्त्यतुला दिवाकराधुच्चा दशमतृतीयाष्टाविशपञ्चदशपञ्चमसप्तविंशविंशाः क्रमेण परमोच्चभागाः ॥२॥
मेष, गो (वृषभ ), नक ( मकर), कन्या, कर्क, अन्त्य (मीन ) और तुला ये सूर्यादिक ग्रहोंकी कमसे उच्चराशि होती हैं,अर्थात् मेषका सूर्य, वृषभका चन्द्र, मकरका मंगल, कन्याका बुध, कर्कका गुरु, मीनका शुक्र, तुलाका शनि उच्चका जानना और दशम, तृवीय, अष्टाविंश २८, पञ्चदश १५, पंचम ५, सप्तविंश २७, विंश २० क्रमसे परमउच्चके अंश जानना अर्थात् ऊपर कही हुई राशि और अंशोंके सूर्यादि ग्रह हों तो परम उच्चके जानना, जैसे-सूर्य मेषके दश अंशका है ये परम उच्चका हुआ । इसी प्रकार चंद्र वृषभके तीन अंशका परम उच्चका, मंगल मकरके २८ अढाईस अंशका, बुध कन्याके १५ पंद्रह अंशका, गुरु कर्कके पांच ५ अंशका, शुक्र मीनके २७ सत्ताईस अंशका और शनि तुलाके २० बीस अंशका परम उच्चका जानना ॥२॥ स्वोच्चसप्तमस्तिथांशाः क्रमशो नीचाः परमनीचभागाः॥३॥ सूर्यादिग्रहोंकी अपनी उच्चराशिसे सातवीं राशि और अंश क्रमसे नीच राशि और परमनीचके अंश होते हैं ॥ ३ ॥
उच्चनीचराशिचक्रम् ।
२ ५३२७६० उञ्चराशयः
२०१७ ३. २५६ ५० नचिराशयः मेषेऽङ्गाङ्गाष्टपंचेषवो गुरुशुक्रज्ञारार्कजाना हद्दांशाः॥४॥
मेषराशिमें अंग ६, अंग ६, अष्ट ८, पंच ५, इषु ५, इन अंशोंके कमसे गुरु, शुक्र, बुध, मंगल और शनि हद्दाके स्वामी जानना । अर्थात् मेषराशिके ६ छः अंशपर्यत हद्दाका स्वामी गुरु होता है, उसके आगेके ६ छः अंशका स्वामी शुक्र, उसके आगेके ८ अंशका स्वामी बुध,उसके आगेके ५ पांच अंशका स्वामी मङ्गल, उसके आगेक ५ अंशका स्वामी शनि, इसी प्रकार बारहों राशियों के हदांशके स्वामी समझना चाहिये ॥ ४ ॥
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