________________
भाषाटीकासहितम् । (१२५) वर्गेशे स्वसंगे विंशतिर्मित्रर्थी तिथयः
समझे दश रिपुभे पंच बलम् ॥ ४६॥ द्वादशवर्गके वर्गका स्वामी स्वराशिका हो तो बीस २० अंश, मित्रराशिका हो वो १५ पन्दरह अंश, समराशिका हो तो १० दश अंश, शत्रुराशिका हो वो ५पांच अंश बल जानना ॥ ४६ ॥
स्व. मि. स. शन
द्वादशवर्गजबलैक्येऽर्कभक्ते विंशोपकाः॥४७॥
द्वादशवर्गके बलके योगमें बारह १२ का भाग देना जो लब्ध आवे वह विंशोपकात्मक बल होता है ।। ४७ ॥
उदाहरण । सूर्य १० । १६ । ५३ ॥३९ । की राशि कुंभका स्वामी शनि सूर्यके गृहका स्वामी हुआ।होरा सूर्य विषमराशिकी दूसरी होरामें है, इसका स्वामी चन्द्र होराका स्वामी हुआ। द्रेष्काण-सूर्य मध्यद्रेष्काणमें है,इस कारण अपनी राशि ११ कुंभसे पांचवीं राशि मिथुनका स्वामी बुध द्रेष्काणका स्वामी आया । एवं सूर्य तृतीय चतुर्थांश विभागमें है, इसलिये अपनी राशि ११ से सातवीं राशि ५ सिंहका स्वामी सूर्य, सूर्यके चतुर्थाशका स्वामी हुआ । पंचमांश-विषमराशिस्थित सूर्य तीसरे पंचमांशविभागमें है, अतएव विषमराशिमें तीसरे पंचमांशका स्वामी गुरु सूर्यके पंचमांशका स्वामी हुआ । एवं सूर्य ४ चौथे षष्ठांशमें है और विषमराशिका है, इसलिये मेषराशिसे षष्ठांशविभागकी संख्या ४ चार पर्यंत गिना तो कर्कराशि हुई, इसका स्वामी चन्द्र सूर्यके षष्ठांशका स्वामी हुआ, एवं सप्तमांशविभागमें सूर्य४चतुर्थ संख्याक विभागमें स्थित है यह विषमराशिगत है इसवास्ते अपनी राशि ३१ कुम्भसे ४ चार पर्यंत गिननेसे ४ चौथी वृषभ राशि हुई, इसका स्वामी शुक्र सूर्यके सप्तमांशका स्वामी हुआ, ऐसे ही अष्टमांश विभागमें सूर्य ५ पांचवे अष्टमांशमें स्थित है और स्थिर राशि ११का है, अतः धनराशिको आदि ले ५ पांच संख्यापर्यन्व गिननेसे मेष राशि हुई, इसका स्वामी भौम सूर्यके अष्टमांशका स्वामी हुआ। नवांशके स्वामी लानेकी युक्ति प्रथम कही है, उसी रीतिके समान नवांश विभाग ६ छठे नवांशमें सूर्य स्थित है, इस कारण तुलाराशि (३ । ७ । १३के नवांश ७ तुलासे गिनना)
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com