Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 154
________________ भाषाटीकासहितम् । (१५३) दिनादिक मुग्धा मासदशा. उदाहरण। जैसे-द्वितीय मासप्रवेश उत्तरा भाद्रपदा नक्षत्रमें हुआ है, इसकी संख्या २६ में ७ मिलाये तो ३३ हुए, ९ नवका भाग दिया शेष ६ बचे, १ एकको आदि ले क्रमसे आचंभौराजी आदि दशा गिननेसे ६ छठी शनि दशामें मासप्रवेश हुआ । यह आय (प्रथमदशा ) हुई । इसके आगे क्रमसे ग्रहोंकी मासदशा आती है। मासदशा. PIASECATHLOCIALES दिनप्रवेशस्पटलननक्षत्रे सप्तयुतेऽङ्कहते एकादिशेष प्रागुक्तानामाया दिनदशा ॥ ९॥ दिनप्रवेशसमयके स्पष्टलग्न और नक्षत्रकी संख्या ७ सात मिलाना ९ नवका भाग देना, एकको आदि ले शेष बचे वह प्रथम कहे हुए नाम र. १, चं. २, मं. ३, रा. ४, गु. ५, श. ६, बु. ७, के. ८, शु. ९ की आय दिन दशा होती है ॥ ९॥ मुग्धांगभागमिता घट्यादयः ॥१०॥ मुग्धा दशाके दिनके ६ छठे भागके समान (बराबर ) घट्यादिक मुग्धा दिनदशा जानना-जैसे सूर्यकी दिन १८ की दशा है इसमें ६ का भाग दिया लब्ध ३ घटी आयी, यह सूर्यकी दिनदशा हुई । ऐसे ही सर्व ग्रहोंकी जाननी चाहिये ॥ १० ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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