Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 155
________________ (१५४) वर्षप्रदीपकम् । मुग्धा दिनदशा घट्यादि. प्रश्नांगस्य भं विना लिप्ताः कृत्वा खतिथ्युद्धता लब्धो भादिमध्येऽङ्गर्भयुता मुंथार्थे स्पष्टं लग्नम् ॥ ११॥ प्रश्नलमकी राशि विना अंशादिककी कला करना ख ( ० ) तिथि (१५) ऐसे १५० डेडसौका भाग देना, लब्ध राश्यादिफल ( राशि-अंश-कलाविकला ) चार आवे उसकी राशिके अंकमें प्रश्नलनकी राशि अंक मिलानेसे मुंथाके वास्ते स्पष्ट लम होती है ॥ ११ ॥ प्रश्नांगातुर्येशो जन्मेशो ज्ञेयः ॥ १२ ॥ प्रश्नलनसे चतुर्थराशिका स्वामी जन्मेश जानना-अर्थात् पंचाधिकारीमें जन्मलमपातके स्थानमें प्रश्नलमसे चतुर्थराशिका स्वामी जो हो वह लिखना१२ प्रश्नपत्रतो वर्षकरणे इयान्विशेषः ॥ १३ ॥ प्रश्नपत्रपर वर्ष बनाने में इतना ही विशेष जानना ( और सर्व रीतिमें कुछ न्यूनाधिक नहीं है ) ॥ १३ ॥ पाराशरकुलोत्पन्नो महादेव उदुबरः। पाठकाख्याचणो रत्नललामपुटभेदने ॥१॥ रेवाशंकरसंभूतिः कृतवान्वर्षदीपकम् । व्यङ्कादीन्दुमिते शाके कन्यार्कप्रथमे दिने ॥२॥ इति मासाद्यध्यायः ॥ ८॥ इति महादेवकृतवर्षप्रदीपकं समाप्तम् ॥ रतलाम शहरमें पाठक ऐसे उपनामसे प्रसिद्ध पराशर कुलमें उत्पन्न (पाराशरगोत्र ) उदुंबरज्ञातीय रेवाशंकरजीके पुत्र महादेव ज्योतिर्वित्ने शालिवाहन १७९३ सत्रहसौ तिरानवेके शकमें कन्यासंक्रांतिके प्रवेशके प्रथम दिनमें वर्षदीपक बनाया ॥१॥२॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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