Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 128
________________ भाषाटीकासहितम्। (१२७ ) बल अष्टमांशमें अष्टमांशपति भौमका शत्रुराशिका ५। • बल नवांशमें नवांशका स्वामी गुरुका शत्रुका ५। • बल--दशांशमें दशांशके स्वामी शनिका मित्र बल १५। ० एकादशांशमें एकादशांशके स्वामी गुरुका शत्रुका बल ५० द्वादशांशमें द्वादशांशका स्वामी सूर्य स्वराशिका है, इसलिये स्वका २७ । . बल प्राप्त हुआ, यह सूर्यके द्वादशवर्गका बल हुआ, इसका योग किया १२०० आया इसमें १२ बारहका भाग दिया, लब्ध १० । • सूर्यका विंशोपकात्मक द्वादश वर्ग बल हुआ। ऐसे ही शेष ग्रहोंका जानना ॥ प्रहाणांद्वादशवर्गचक्रम. द्वादशवर्गबलचक्रम्. |१५ 1 . 1. श११ ११ १२गु ८ मं १२ गु९ गु | मि | मि | मि | मिमि | स गृह. २ स १२ १२ गु६ बु ६ बु ११ श ११२ मि | श स्व मि | स २० ५२° सघमांश. ८ ग३ बु ५ र २ शु १२ गु ११ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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