Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas
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भाषाटीकासहितम् ।
(१४१)
अथ सहमसारणीकोष्टकाः ४९ /५० | ५१ / ५२ | ५३/५४ ५५/५६/५७ / संख्या
मृत्य बुद्धि निधि ऋण. सत्य
सहमनाम तुल्यफलं
गु-पत्रुस श.
अ.
मा। ४स्वा
दिवा
इति श्रीज्योतिर्विद्वरश्रीमन्महादेवकृतवर्षदीपकाख्यताजिकग्रन्थे .तदात्मजश्रीनिवासविरचितायां सौदा
हरणभाषाव्याख्यायां सहमसाधनाध्यायः पञ्चमः ॥५॥
अथाब्देशनिर्णयः। दिनेऽर्कशुक्रार्किसितेज्यचन्द्रज्ञारार्किभौमेज्यचन्द्रा रात्रौ जीवेन्दुज्ञाराकसितार्किशुक्रमन्दारेन्यचन्द्रा मेषादित्रिराशिपाः॥३॥
अब वर्षेश्वरका निर्णय कहते हैं-दिनमें सूर्य, शुक्र, शनि, शुक्र, गुरु, चन्द्र, बुध, मंगल, शनि, मंगल, गुरु, चन्द्र, रात्रिमें गुरु, चन्द्र, बुध, मंगल, सूर्य, शुक्र, शनि, शुक्र, शनि, मंगल, गुरु, चन्द्र, मेषराशिको आदि ले क्रमसे त्रिराशिपति जानना ॥१॥
अथ विराशिपतिचक्रम्. मे.. | मि. क. सि.क.उ..घ.म..मी.
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जन्मांगेशो वर्षांगेशस्तत्रिराशिपो मुन्थेशो दिनेऽभेशो निशीन्दुभेशश्चेति पंचाधिकारिणः ॥२॥
जन्मलनका स्वामी १, वर्षलनका स्वामी २, वर्षलयका त्रिराशिपवि ३, मुंथाका स्वामी ४, दिनमें सूर्यकी राशिका स्वामी और रात्रिमें चन्द्रकी राशिका स्वामी ५ ये पांच अधिकारी जानना ॥२॥
१ वर्षलग्न जिस राशिका हो उसका दिनमें वर्ष-प्रवेश हो तो दिनका, गनिमें रात्रिका :निपतिपति
देखना।
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