Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 143
________________ (१४२) .. वर्षप्रदीपकम् । एषां बलाधिकोऽङ्गद्रष्टा वर्षेशः॥३॥ इन पञ्चाधिकारियोंमें जो ग्रह अधिक बलवान होके वर्षलगको देखता हो वह वर्षेश्वर होवा है ॥ ३ ॥ बलसाम्ये तु दृष्टयाधिकः॥४॥ अनेक ग्रहका बल समान (बरोबर ) हो तो जिसकी लमपर दृष्टि अधिक हो वही वर्षेश्वर होगा ॥ ४॥ उभयसाम्येऽधिकाधिकारी ॥५॥ अनेक ग्रहोंका बल और लमपर दृष्टि दोनों समान ( बरोबर ) हो तो जिस ग्रहका अधिकार ज्यादा आया हो वह वर्षेश्वर होगा ॥५॥ त्रितयसाम्ये मुन्थेशः॥६॥ बल दृष्टि अधिकार यह तीनों समान हों तो मुन्थेश ही वर्षेश होगा ॥६॥ पञ्चानामपि मध्ये कोऽपि नांगं पश्येत्तदा मुन्थेशवर्षलग्नेशौ यश्चोक्ताधिकार्यतःपाती तदितरोऽपि जनुस्समये वर्षागराशिद्रष्टा भवेत्तदैतेषां योऽधिकबलः स वर्षेशः॥७॥ पांचों अधिकारियोंमेंसे कोई भी वर्षलग्नको नहीं देखते हों वो मुन्थेश, वर्षलग्नेश और दोनोंसे अन्यग्रह जो वर्षमें अधिकारी होकर जन्मकुंडलीमें वर्षलग्नकी राशिको देखता हो तो इन तीनों से जो अधिक बली हो वही वर्षेश होगा ॥ ७ ॥ त्रयाणां बलसाम्ये मुन्थेशः ॥ ८॥ तीनों अधिकारियोंका बल समान ( बरोबर ) हो तो मुन्थेश ही वर्षेश होगा ॥ ८॥ उक्तरीत्या चन्द्रस्याब्दपतित्वप्राप्तौ तदित्थशालिनोऽब्दपत्वमन्यथा तद्भेशस्येत्येके ॥९॥ उक्त रीविसे चन्द्रको वर्षेशत्व प्राप्त हो वो (चन्द्र वर्षेश होवा हो तो) चन्द्रसे जो ग्रह इत्थशाल करवा हो वो वही वर्षेश होगा, और कोई ग्रह इत्थशाल नहीं करता हो तो चन्द्रकी राशिका स्वामी वर्षेश होगा, यह किन्हीं भाचााँका मत है ॥९॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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