Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 151
________________ ( १५० ) वर्षप्रदीपकम् । हुए जन्मसमयके सूर्य के समान ( बराबर ) सूर्य जिस दिन आवे उस दिन मास - प्रवेश होता है ॥ १ ॥ गत दिनसम्मितांशा मासाकें युतास्तत्सदृशेऽर्के दिनप्रवेशः ॥ २ ॥ गत दिनकी संख्या के समान ( बराबर ) अंशमास के सूर्यमें युक्त करनेसे जो सूर्य हो उसके समान सूर्य जिस दिन आवे उस दिन दिनप्रवेश होता है, अर्थात् जिस मासमें जितनी संख्याका दिन प्रवेश करना हो उसके गत दिनकी जो संख्या हो उतने ही अंश उस मासके सूर्य में मिलाना, उसके समान सूर्य जिस दिन आवे उस दिन दिनप्रवेश होगा || २ || उदाहरण | जैसे -- दूसरा मासप्रवेश करना है इसके पिछाड़ी गत मास १ एक हुआ । इस लिये जन्मके १० । १६ । ५३ । ३९ सूर्यकी राशिके अंकमें १ एक किया ११ । १६ । ५३ । ३९ यह २ द्वितीयमासप्रवेशका सूर्य हुआ । इस सूर्य के बराबर सूर्यके दिन दूसरा मासप्रवेश होगा । इसी प्रकार जितने गतमास हो उतनी हीं राशि जन्मार्क में मिलाते जाना और १२ ही मासके सूर्य लाना । दिनप्रवेश | दूसरे मासका ११ ग्यारहवां दिन प्रवेश करना है, ग्यारह दिनप्रवेशमें १० दश दिन गत हुए हैं, इसलिये १० दश अंश मासके ११ । १६ । ५३ । ३९ सूर्यमें मिलाये ११ । २६ । ५३ । ३९ यह दिन ११ के प्रवेशका सूर्य हुआ, इस सूर्य के समान सूर्य आवेगा उस दिन ११ ग्यारहवां दिन प्रवेश होगा ॥ मासार्कासन्नपंक्त्यर्कयोरंतरस्य कलाः कृत्वार्कभुक्तिभक्ताप्त दिनादिपंक्तिवारादिमध्ये पङ्क्तयर्कादधिकेऽर्के युक्तेऽन्यथा हीने मासप्रवेशकालः ॥ ३ ॥ मासप्रवेश सूर्य और उसके समीपकी पंक्तिका ( अवधि ) सूर्य इन दोनों के अन्तरकी कलो करना, सूर्यकी गतिका ( पंक्तिक सूर्यको गतिका ) भाग देना, जो लब्ध आवे दिन घटी पलत्मक तीन फल, उनको पंक्तिके वारादिक १- अंशको ६० साउगुणा करके कला मिलानेसे होती है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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