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( १४८ )
वर्ष प्रदीपकम् |
धृतित्रिंशदेकविंशति चतुःपञ्चाशदष्टचत्वारिंशत्र्यूनषष्टयेक पंचाशदेकविंशतिषष्टिसंख्यातानि सूर्यादीनां मुग्धादशादिनानि ॥ १३ ॥ धृति कहिये १८, त्रिंशत् ३०, एकविंशति २१, चतुःपञ्चाशत् ५४, अष्टचत्वारिंशत् ४८, त्र्यूनषष्टि ५७, एकपंचाशत् ५१, एकविंशति २१, षष्टि ६० संख्या दिन सूर्यादिग्रहों के मुग्धादशा के दिन जानना अर्थात् सूर्य १८, चन्द्रके ३०, मंगलके २१, राहुके ५४, गुरुके ४८, शनि के ५७, बुधके ५१, केतुके २१, शुक्र के ६० दिन मुग्धा दशाके दिन जानना ॥ १३ ॥
उदाहरण |
जन्मनक्षत्र चित्राकी संख्या १४ में गताब्दसंख्या २८ युक्त किये तो ४२ हुए, इनमें से २ दो हीन किये शेष ४० बचे इनमें ९ नवका भाग दिया शेष ४ बचे एकको आदि ले क्रमसे गिननेसे ४ चौथी राहुकी ५४ दिनकी आय दशा हुई, अर्थात् राहुदशामें वर्षप्रवेश हुआ ||
भगणोनजन्मेन्दुलिप्ताः खखाष्टशेषिता आद्यदशा दिनहताः खाने भाता दिनादिभोग्यदशा ॥ १४ ॥
बारह १२ राशिमें से हीन किये हुए जन्मके चन्द्रकी कलोको ८०० आठसौका भाग देना, शेष बचे कलाको आद्य दशा ( सूत्र १२ के अनुसार आयी हुई दशा ) के दिनोंसे गुणन करना और ८०० आठसौका भाग देना लब्ध फल ४ आवे वह दिनादिक भोग्यदशा जानना ॥ १४ ॥
दशा दशाहताः षष्ट्यधिकत्रिंशतेनाप्ता अन्तर्दशा दिनाद्या मुग्धायाम् ॥ १५ ॥
इति दशाध्यायः ।
दशा दिनको दशा के दिन से गुणन करना और तीन सौ साठ ३६० का भाग देना, जो लब्ध आवे वह मुग्धादशामें दिनादिक अन्तर्दशा होती है ॥ १५ ॥ उदाहरण |
जन्म समयका चन्द्रस्पष्ट ५ । २९ । १९ । ४९ इसको बारह राशि
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१ राशिको ३० गुणी करके अंश मिलानेसे अंश होता है और अंशको साठ गुणे करके कला मिलानेसे कळा होती है।
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