Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 145
________________ (१४४) वर्षपदीपकम् । द्वयोरंशादिसाम्ये बलाधिकस्य पूर्वा दशा ॥४॥ दो ग्रहोंके अंशादिक (अंश कला विकला ) समान ( बरोबर ) हो तो उनमें से जो अधिक बलवान हो उसकी प्रथम दशा जाननी चाहिये (प्रथम उसके अंशादिक लिखना)॥४॥ बलसाम्येऽल्पगतिकस्य ॥६॥ दो ग्रहोंका बछ समान हो वो जो अल्पगविवाला ग्रह हो उसकी प्रथम दशा जानना ॥५॥ उदाहरण । यहां उनसहित सूर्यादि ग्रहोंमें सर्वसे न्यून अंश चन्द्र के हैं, अतएव चन्द्रके अंश कला २२ विकला ५६ पहले लिखे । चन्द्रसे अधिक अंशका बुध है इसलिये चन्द्रके अनंवर बुधके अंशादिक । ३५। ८ लिखे, एवं बुधसे अधिक भौम, भौमसे अधिक अंशादि शनिके इस क्रमसे अधिक अधिक अंशके ग्रह क्रमसे सर्वाधिकांश ग्रहपर्यंत लिखनेसे इस प्रकार हीनांश हुए। हीनांशाः। 2014 ३५३१५४ | ૧૬/૨૬ પરિક पात्यकृतौ प्रथमखेटस्य यथास्थितांशाः॥६॥ पात्यांश करनेके समय प्रथम ग्रहके (जो सर्व ग्रहसे अल्प अंशादिकका ग्रह हीनांशमें प्रथम लिखा है उसके) अंशादिक यथा स्थित (नो अंशादिक हो वे ही प्रथम ) लिखना ॥ ६॥ ततः प्रथम द्वितीयाद् द्वितीयं च तृतीयादित्यादि क्रमेण शोधयेत् ॥ ७॥ इमे पात्याः ॥८॥ तदनंतर प्रथम लिखे ग्रहके अंशादिकको दूसरे ग्रहके अंशादिकमेंसे, दूसरेके अंशादिकको वीसरे से, तीसरेके अंशादिकको चौथेमसे इस क्रमसे शोषवे जाना ॥ ७ ॥ ये पात्यांश कहलाते हैं ॥ ८॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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