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भाषाटीकासहितम् । (१३९ ) प्रथमं जन्मकालिकं सद्मबलाबलं जानीयात् ॥ ५९॥
प्रथम जन्मसमयमें सहमोंका बल निर्बल जानना ( जन्मसमयमें सब सहम करना, अनंतर जन्मकुंडलीमें देखना जो सहम अपने स्वामीसे, लग्नेश्वरसे और शुभग्रहसे युक्त हो वा दृष्ट हो ६। ८ । १२ वांआदि दुष्टस्थानके सिवाय शुभस्थानमें स्थित हो वह बलवान् जानना और इससे विपरीत ही वह निर्बल जानना)॥ ५९॥
तत्र यानि बलीयांसि तेषामेव संभवाः॥६०॥ जन्मसमयमें जो जो सहम बलवान हों उन्हीं सहमोंका संभव जानना ॥६०॥ प्रतिवर्ष सम्भवतापनान्येव कार्याणि नेतराणि, नैष्फल्यात् ॥६॥
प्रतिवर्ष ( हरवर्ष ) जिन जिन सहमका जन्म समयमें सम्भव आया हो वे ही सहम करना, जिनका सम्भव नहीं है वे सहम निष्फलदाता हैं इसलिये नहीं करना ॥ ६१॥ प्रश्ने प्रच्छकेष्टकार्यसहम कार्यम् ॥ ६२॥
इति सहमाऽध्यायः पंचमः ॥ ५ ॥ प्रश्नसमयमें पूछनेवालेका जो अभीष्टकार्य हो वह सहम करना ॥ ६२॥
उदाहरण। यहां दिनमें वर्षप्रवेश हुआ है इस कारण सूत्रमें कहे हुए शोध्य सूर्य १० । १६ । ५३ । ३९ को शुद्ध्याश्रय चन्द्र १० । ० । २२ । ५६ मैसे घटाया तो ११ । १३ । २९ । १७ शेष बचे, इसमें क्षेपक नहीं कहा है इसलिये लग्न १ । १२।२६ । ३५ युक्त किया तो • । २५ । ५५ । ५२ यह पुण्य सहम सिद्ध हुआ। शोध्य सूर्यकी राशि १० अंश १६ को आदि ले शुद्ध्याश्रय चन्द्रकी राशि १० अंश • पर्यंत गिननेसे क्षेपक ( लग्न ) की राशि १ वृषभ बीचमें आ गयी है इसलिये सिद्ध सहमकी राशिमें १ एक युक्त नहीं किया,इसी प्रकार शेष सहम जानना.
अथ कतिचित्सहमाः इच्छा पुत्र राज्य धन लाभ शत्रु | रोग जीवि
२८ | ५७।१८
१८ । २७ १० | २४ २
४५ ५० ३ । ३० ३ १८.४६ | ३४ । ५५ । १४ । ४०१२ । १४। ३९
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