Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 112
________________ भाषाटीकासहितम्। (१११) शुक्र ११ वें भावमें स्थित है, ११ ग्यारहमें भावकी विरामसंधि ११ । २० से शुक्र ११ । २५ अधिक है, अतएव शुक्र १२ वें भावका फल देगा, ऐसे सर्वपहोंको जानने। विंशोपकानयन-उदाहरण। सूर्य १० । १६ ॥५३॥३९ और दशम भावकी विराम संधि १०।१६।४ । ३६ का अंतर किया तो ००।१९।३ हुआ, इसको बीस गुणा किया तो १६। २१०० हुए। इनमें सूर्य दशम भावकी विरामसंधि और ग्यारहवें भावके बीच है, इसलिये दशमभावकी विरामसंधि १०।१६।४। ३६ और ग्यारहवां भाव १३। ३।२१।० के अंतर १७।१६।२४ का भाग दिया-परंतु दोनों भाज्य भाजक अंशादिक हैं इसलिये इनको प्रथम सवर्णित किये. भाज्य ५८८६० भाजक ६२१८४ हुए । भाज्य ५८८६० में भाजक ६२१८४ का भाग दिया लब्ध • शून्य विश्वा आये, शेष ५८८६० को ६० साठगुणे किये तो ३५३ १६० हुए, भाजक भावसंध्यंतर ६२१८४ का भाग दिया तो लब्ध ५७ प्रतिविश्वाआये। यह सूर्यके विंशोपका हुए, इसी प्रकार सब ग्रहोंके विंशोपका जानना। विंशोपकाः। इति श्रीज्योतिर्विद्वरश्रीमन्महादेवकृतवर्षदीपकाख्यताजिकग्रन्थे तदात्मजश्रीनिवासविरचितायां सोदा. हरणभाषाव्याख्यायां ग्रहभावसाधनाध्यायो द्वितीयः ॥ २॥ वक्राच्छनचन्द्रार्कज्ञसितारेज्यर्किमन्देज्या मेषायधिपाः ॥१॥ वक (मंगल), अच्छ (शुक्र), ज्ञ (बुध ), चंद्र, अर्क (सूर्य) व (बुध ), सिव (शुक्र), आर (मंगल ), इज्य (गुरु), आर्कि (शनि), मंद (शनि), इज्य (गुरु), मेषादिक राशियोंके क्रमसे स्वामी जानना ॥१॥ । मेषादिराशियोंके स्वामी. मे. | वृ. | मि. क. | सिं. क. तु. कृ. | ध. 1 म. | कुं मी . १०११ राशी. म. शु. बु. | चं. सू. | बु. | शु. | मं. गु. | श. .. गु. स्वामी - - - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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