Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 110
________________ भाषाटीकासहितम्। (१०९) चतुर्थभावसाधन। स्पष्टसूर्य १०॥१६॥५३॥३९ की राशि १० अंश १६ प्रमाण भावपत्रका कोष्ठक ५६।४५।२४ में चतुर्थभावका इष्ट २७।६।० मिलाया ८३१५१।२४ हुए, घटी ६० साठसे अधिक है ६० साठका भाग दिया शेष २३॥५१।२४ बचे, यह इष्टयुक्त कोष्ठक हुआ, इससे न्यून कोष्ठक भावपत्रमें २३॥ ४२। २० तीन राशि २७ अंशमें मिलता है, इसलिये राशि ३ अंश २७ लिये इसके नीचे कला विकलाके स्थानमें सूर्यकी कला ५३ विकला ३९ युक्त की तो ३।२७।५३।३९ हुए, फिर इष्टयुक्त कोष्ठक २३॥५१।२४। और अल्प कोष्ठक २३१४२।२० का अंतर किया ०।२।४ हुआ, इसमें अल्पकोष्ठक २३१४२।२० और उसके आगेका ऐष्य कोष्ठक २३॥ ५२।१८ का अंतर ०९।५८ का भाग दिया, परन्तु भाज्य भाजक दोनों कलादिक हैं अतएव दोनोंको प्रथम सवर्णित किये भाज्य ५४४ भाजक ५९८ हुआ, भाज्य ५४४ में भाजक ५९८ का भाग दिया तो लब्ध ० अंश आया, शेष ५४४ को ६० साठगुणे किये ३२५४० हुए। इनमें भाजक ५९८ का भाग दिया, लब्ध ५४ कला आयी, शेष ३४८ बचे इनको ६० साठगुणे किये तो२०८८० हुए, इनमें भाजक ५९८ का भाग दिया, लब्ध ३४ विकलां आयी ऐसे अंशादिक ०५४। ३४ फल तीन आये इनको प्रथम आये हुए राश्यादिक ३॥२७॥५३॥ ३९ में युक्त किये तो ३३२८॥४८॥१३ हुए इस प्रकार चतुर्थ भाव स्पष्ट हुआ। भावसाधनका-उदाहरण । लग्नस्पष्ट १।१२।२६।३५ को चतुर्थ भाव ३।२८१४८1१३ मेसे शोधा तो २।१६।२११३८ हुए, शेष बचे इसकी राशिके २ अंक ६ छःका भाग दिया लब्ध ० राशि शेष २ को ३० तीस गुणे किये ६० हुए । इनमें नीचेके १६ अंश मिलाये तो ७६ हुए। इनमें ६ छःका भाग दिया लब्ध १२ अंश आये, शेष ४ बचे। इनको ६० साठगुणे किये तो २४० हुए फिर कलाके अंक २१ युक्त किये तो २६१ हुए, फिर ६ का भाग दिया लब्ध ४३ फला आयी, शेष ३ बचे, उनको ६० साठगुणे किये तो १८० हुए। इनमें विकलाके अंक ३८ मिलाये२१८ हुए फिर ६ का छका भाग दिया लब्ध३६ विकला आयी। शेष २ बचे, इनको फिर ६० साठगुणे किये तो १२० हुए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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