Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 120
________________ (११९) भाषाटीकासहितम् । बलसाधन-उदाहरण । सूर्यके गृहका स्वामी शनि सूर्यका मित्र है, इसलिये गृहमें सूर्यके नीचे २२॥ ३० अंश बल लिखा. उच्चबल सूर्य १० । १६।५३।३९ नीच ६।१०।०।० सूर्यमेंसे नीच हीन किया ४।६।५३।३९ शेष बचे इसके अंश किये १२६ । ५३। ३९ हुए, नवका भाग दिया लब्ध १४ आये शेष शून्य बचा, इसको साठसे गुणा किया,इसमें ५३ कला मिलायी ५३ हुए और नवका भाग दिया, लब्ध ५ आये, सो सूर्यका उच्चबल १४, ५ हुआ। हद्दा-इदाका स्वामी गुरु सूर्यका शत्रु है, अतः हद्दाका शत्रु बल ३ । ४५ सूर्यके नीचे हवामें लिखाद्रेष्काण, सूर्यके द्रेष्काणका स्वामी बुध सूर्यके सम है इसलिये द्रेष्काणमें समका बल ५। • प्राप्त हुआ। ___ नवांश सूर्यके नवांशका स्वामी गुरु सर्यके शत्रु है, अतएव नवांशमें सूर्यके नीचे शत्रु नवांश बल १५ लिखा, यह पंचवर्ग बल हुआ। इन पांचोंका योग किया ४६।३५ पंचवर्ग बलैक्य हुआ, इसमें ४ चारका भाग दिया, लब्ध ११ ॥३८॥४५ आये, यह सूर्यका विंशोपकात्मक बल हुआ । ग्रहबल ६ से अधिक और १२ बारहसे न्यून है,अतः मध्यमबल जानना । एवं शेष चन्द्रादि सर्वग्रहोंका किया जाता है। पंचवर्गबलचक्रम् । र. | चं. | मं. बु. गु. | शु. | श. . 32 | FIRS 2013 Mrom Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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