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( ११८ )
वर्षप्रदीपकम् ।
आया हुआ विश्वात्मक बल ६ छः से अल्प हो तो अल्पबली और बारहसे अधिक हो तो पूर्णबली, ६ छः से अधिक बारहसे न्यून हो तो मध्यबली होता है ॥ २८ ॥
उदाहरण |
सूर्य १०।१६।५३।३९ कुम्भराशिका है, इसका स्वामी शनि है, सो गृहका स्वामी हुआ । एवं सूर्यका उच्च ०।१० हद्दा - सूर्य कुम्भ राशिके ३ हांशर्मे ( प्रथम ७ अंश फिर ६ अंश मिलानेसे १३ होते हैं इससे अधिक अंश सूर्य है, इसलिये दो अंश गये और तीसरे ७ अंशमें हुआ ) है इसका स्वामी गुरु है वह सूर्य की हद्दाका स्वामी हुआ ।
द्रेष्काण - सूर्य मध्यद्रेष्काण में है इसकी राशिमें १० में १ एक युक्त किया ११ हुए, सातका भाग दिया ४ शेष बचे, तो सूर्यको आदि ले क्रमसे ४ बुध द्रेष्काणका स्वामी हुआ । नवांश सूर्य कुम्भराशि के छठे नवांशविभागमें है ( १६ । ४० से अधिक है अतएव तुलराशिसे नवांश विभागसंख्या ६ पर्यंत गिनने से मीन राशि हुई. इसका स्वामी गुरु है सो सूर्यके नवांशका स्वामी हुआ, ऐसे ही सर्वग्रहके पंचवर्ग जानना ।
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हद्दा.
द्वेष्काण
नवांश मैत्रीसाधन -- उदाहरण । सूर्य से ११ स्थानमें शनि स्थित है वह सूर्यके मित्र हुआ, एवं सूर्यसे १ स्थानमें चन्द्र, मंगल १० स्थानमें गुरु स्थित है, ये सूर्यके शत्रु हुए और २ स्थानमें बुध,
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स्वगृह.
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शुक्र स्थित है, वे सम हुए। इसी प्रकार सर्वग्रहोंके मित्र शत्रु समझना ।
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