Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 64
________________ भाषाटीकासहिता। (१२।११।१०।९।८।७) स्थानोंमें अशुभ (पाप)यह स्थित हो तो यथाक्रम आयी हुई आयुर्दायमेंसे १२ सर्व (पूरी आयु) ११ आधी १० तृतीयांश९ चतुर्थांश ८ पंचमांश ७ षष्ठांश हीन करना । अर्थात् लनसे बारहमें स्थानमें जो अशुभ (पाप) ग्रह स्थित हो उसकी जो वर्षादिक आयु आयी है वह सर्व हीन करना ( उस ग्रहकी आयु००शून्य शून्य लिखाना) और ११ एकादश स्थानमें जो पापग्रह स्थिव हो उसकी आयु जो वर्षादिक आयी है उसको आधी करना, एवं दशम १० स्थानमें जो पापग्रह स्थित हो उस ग्रहको वर्षादि आयुमेंसे तृतीयांश (अपना तीसरा भाग) हीन करना और ९ नवम स्थानमें पापग्रह स्थित हो तो उसकी वर्षादि आयुमेंसे चतुर्थांश(अपनी वर्षादि आयुको चारका भाग देके जो आवे वह) हीन करना, एवं ८ अष्टम स्थानमें जो पापग्रह स्थित हो उस ग्रहकी वर्षादि आयुमेसे पंचमांश ( अपनी वर्षादि आयुके पांचका भाग देनेसे आया हुआ जो पांचवा हिस्सा वह) हीन करना । इसी प्रकार सप्तम स्थानमें जो पापग्रह स्थित हो उसकी आयुमेंसे षष्ठांश ( अपना छठा हिस्सा ) हीन करना और इन व्ययादि १२।११।१०।९।८।७ । स्थानोंमें शुभ ग्रह स्थित हो वो जो जो भाग अशुभ ग्रहकी आयुमेंसे हीन करनको कहा है उसका आधा आधा भाग हीन करना अर्थात् बारहवें स्थानमें शुभ ग्रह स्थित हो तो उसकी वर्षादि आयुको आधी करना और ११ ग्यारहमें स्थानमें स्थित हो तो उसकी वर्षादि आयुमेंसे चतुर्थाश (चौथा हिस्सा) हीन करना । एवं १० दशम स्थानमें स्थित हो तो उसकी आयुमेंसे षष्ठांश (छठा हिस्सा) हीन करना और ९ नवम स्थानमें स्थित हो तो उसकी आयुमेंसे अष्टमांश (आठवा हिस्सा) हीन करना। इसी प्रकार ८ अष्टम स्थानमें जो शुभ ग्रह स्थित हो उसकी वर्षादि आयुमेंसे दशम भाग (वर्षादि आयुके १० दशका भाग देके जो दशांश आवे वह ) हीन करना । एवं सप्तम स्थानमें जो स्थिव हो उसकी वर्षादि आयुमेंसे द्वादशांश(अपना बारहवां हिस्सा ) हीन करना और इन्हीं व्ययादिक उक्त स्थानोंमें यदि एक राशिमें दो ग्रह स्थित हों वा बहुत ग्रह स्थित हों तो उनमेंसे जो ग्रह आधिक बलवान् हो उसी एक ग्रहकी वर्षादि आयुगेसे जिस स्थानमें स्थितका जो भाग हीन करनेको पूर्व कहा है वह हीन करना, शेष ग्रहोंकी आयुमेंसे उस स्थानका भाग हीन नहीं करना, ऐसा सत्याचार्यका वचन है ॥ ३७ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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