Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 100
________________ भाषाटीकासहितम् । जनुरुदयमादिषु भांकमात्र गताब्दांकयोगेऽर्कभक्त मुन्था ॥१०॥ राश्यादिक (राशि अंश कला विकलात्मक ) जन्म लमको केवल राशिके अंकमें ही गताब्दसंख्याका अंक युक्त करके १२ बारहका भाग देना जो शेष बचे उसे मुन्था जानना ॥ १०॥ सूर्यैकांशभोगकाले मुन्था पंचकला भुनक्ति ॥ ११॥ सूर्यके एक अंशके भोगसमयमें मुन्था पांच कला भोगती है, अर्थात् प्रतिदिन मुन्था पांच कला चलती है ॥ ११ ॥ उदाहरण। अमांत माघ कृष्ण १४ चतुर्दशी बुधवारके दिन इष्ट ११॥३०॥१८ से वर्षप्रवेश हुआ, इसके समीपकी पंक्ति (अवधि) पंचागमें उमी दिन इष्ट२२॥१की है। यह वर्षप्रवेश समयसे आगेकी है, इसलिये सूत्रके अनुसार अवधिके वारादिक ४।२२।१मेसे वर्षप्रवेशके इष्ट वारादिक४।११॥३०घटाये शेष।१०।३१बचे यह दिनादिक ऋण चालक हुआ-इस दिनादिक चालक ०।१०।३१को सूर्यकी गति ६० | १९ ६० १९ से गोमूत्रिका लिखके गुणन किया तो ये अंक आये । नम्बर- ०नं०-४ इनमें नम्बर६के अंकमें६०साठका भाग देनेपर लब्ध९आये२-६०० | १९०-५ उनको नंबर पांचके अंकोंमें युक्त करके नम्बर पांचके ३--१८६० | ५८९-६ अंकोंको नम्बर ३तीनके अंकमें और नम्बर४चारके अोंको नम्बर २दोके ६० | १९ | अकोंमें मिलाये तो इस प्रकार हुए,फिर नम्बर ३तीनके अंकमें६० १--नम्बर० | साठका भाग दिया लब्ध ३४ आये, इनको नम्बर दोके अंकोंमें २-६० मिलाये वो ६३४ हुए इनमें साठका भाग दिया लब्ध १० ३-२०५९ / कला आयी, शेष ३४ विकलारही, फिर कला १० में ६०साठ का भाग दिया लब्ध० अंश-आया, ऐसे साठका भाग देनेसे अंशादिक०।१०। ३४ फल आये । इनको अवधिमें स्थित सूर्य १०।१७।४। ७ में ऋण किये १० । १६।५३ । ३३ शेष बचे यह स्पष्ट सूर्य हुआ । इसी प्रकार शे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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