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वर्षपदीपकम् । सर्व ग्रह किये परन्तु राहु वक्रगति है इस कारण राहुकी गति ३॥ ११ से चालक ० । १०।३१ को उक्त रीतिसे गुणन करके ६० साठका भाग देके आये हुए ० । ०। ३४ अंशादिक फलोंकी अवधिमें स्थित राहु ७ । २३ । ४० । ४०। में विपरीत संस्कार किया अर्थात् चालक ऋण है, इस कारण धन किया ७ । २३ । ४१ । १४ । राहु स्पष्ट हुआ।
स्पष्ट चंद्र साधन । वर्षप्रवेशके दिन धनिष्ठा घट्यादिक ३७ । ५६ है, वर्षप्रवेश धनिष्ठा नक्षत्रमें हुआ है अतएव धनिष्ठा इष्ट नक्षत्र और श्रवण गतनक्षत्र हुआ।गतनक्षत्र श्रवणकी घटी ४१ पल ५१ को सूत्र ४ के अनुसार ६० साठ घटीमेंसे हीन किया १८।९ शेष बचे, इनको दो जगे लिखे १८।९ एक जगे इष्टघटी ११॥३०
भया युक्त की२९ । ३९ | भयात हुआ, दूसरी जगे इष्ट | ९ | ३० घटी. | ३९ न. | नक्षत्र धनिष्ठाकी घटी ३७ पल ५६ मिलायीतो५६।
१८ ३७इष्टनक्षत्र. ५६ भभो- ५भभोग हुआ। भयावको ६० साठ गुणा करके [९५६ घटी, | ५ ग. भभोगका भाग देना है, परंतु भयात भभोग दोनों घट्यादिक हैं, अतःप्रथम इनको सवर्णित किये भयाव १७७९ भभोग ३३६५ हुए, तदनंतर भयात १७७९को साठगुणा किया १०६७४० हुए। इनमें भभोग ३३६५ का भाग दिया लब्ध ३१ घटी आयी शेष २४२५ बचे, इनको साठ गुणे किये १४५५०० हुए, भभोग ३३६५ का भाग दिया,लब्ध ४३ पल हुए, शेष८०५ बचे उनको ६० गुणे किये तो ४८३०० हुए इनमें फिर ३३६५ का भाग दिया लब्ध १४ विपल आयी। ऐसे घटयादिक ३१ । ४३ । १४ स्पष्ट भयाव हुआ। तदनन्तर अश्विनीसे गत नक्षत्र श्रवण पर्यंत गिननेसे २२संख्या आयी यह गत नक्षत्रकी संख्या हुई, इसको ६० साठगुणी की वो १३२० हुई, इसमें स्पष्ट भयात ३१॥ ४३ ।.१४ युक्त किया १३५३ । ४३ । १४ हुए । इनको २ द्विगुण किये २७०३ । २६ । २८ हुए, इनमें ९ नवका भाग दिया लब्ध३०० अंश आये, शेष ३ बचे, इनको ६० गुणे किये १८० हुए इनमें नीचके पलके अंक २६ मिलाये २०६ हुए इनमें नवका भाग दिया लब्ध २२ कला आयी शेष ८ बचे इनको ६० साठगुणे किये तो ४८० हुए, विपलके अंक २८
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