Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

View full book text
Previous | Next

Page 107
________________ (१०६) वर्षपदीपकम् । सूर्यकी राशि अंश प्रमाण लग्नपत्रके कोष्ठकमें इष्ट घटी पल विपल युक्त करना, उस ( इष्ट युक्त किये हुए कोष्ठक ) से अल्पकोष्ठकके राशि-अंश लेना, अर्थात् जिस कोष्ठकमें इष्ट युक्त किये हुए कोष्ठकसे किंचित् न्यून अंक मिले उसके सामने जो राशि और ऊपर जो अंश हो वह अंश लेना । राशि-अंशके नीचे स्पष्ट सूर्यकी कला विकला युक्त करना, तदनंतर इष्ट युक्त किये हुए कोष्ठक और अल्प कोष्ठकका अन्तर करना, जो शेष बचे उसमें अल्पकोष्ठक और उसके आगेका ऐष्य कोष्ठकका अन्तर करके भाग देना, जो अंशादिक फल ३ तीन लब्ध आवे वह प्रथम आये हुए राश्यादिकमें युक्त करे तो लग स्पष्ट होता है ॥ १८॥ लनपत्रस्थभानुभांशजकोष्ठं स्वाधःस्थितसप्तमकोष्ठकादीनं दिनमानम् ॥ १९॥ सूर्यकी राशि अंशप्रमाण लग्नपत्रमें जो कोष्ठक है उसको अपने नीचेके सातवें कोष्ठकमेंसे हीन करे, जो शेष बचे वह दिनमान जाने ॥ १९ ॥ तच्च षष्टिशुद्धं रात्रिमानम् ॥२०॥ दिनमानको ६० साठमेंसे शोधनेपर रात्रिमान होता है ॥ २० ॥ सूर्योदयादिष्टे राज्यर्द्धयुते तुर्यभावेष्टम् ॥ २१ ॥ सूर्योदयसे घट्यादिक इष्ट समयमें राज्यई ( रात्रिमानका अई) युक्त करे तो चतुर्थ भावका इष्ट होता है ॥ २१ ॥ एतदादाय भावपत्रतो लगवच्चतुर्थभावसाधनम् ॥२२॥ इस प्रकार चतुर्थ भावका इष्ट ले करके भावपत्रपर लनसाधनकी रीतिके अनुसार ( जैसे लग्न लाये हैं उसी तरहसे ) चतुर्थ भावका साधन करना चाहिये ॥ २२॥ लनशोधिततुर्यषष्ठांशो लग्ने पञ्चवारं योज्यस्ततस्स षष्ठांशोरूपाच्छुदस्तुर्ये पञ्चवारं योजितश्चेल्लमादयस्ससन्धयः षड्भावाः ॥२३॥ __ लग्न निकले हुए चतुर्थ भावके षष्ठांशको (चतुर्थ भावमेंसे लग्नको) हीन करना, जो राश्यादिक शेष बचे उसकी राशिके अंकमें ६ छःका भाग देना, जो लब्ध राशि आवे और शेष बचे उनको वीस ३० गुणे करके नीचेके अंश मिलाकर६छःकाभाग दे, फिर जो लब्ध अंश आव और शेष बचे उनको६०साठ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162