Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 96
________________ AMERA भाषाटीकासहितम् । लब्ध पल आवें शेष बचे उसको ६० साठ गुणे करना और ८०० आठसौका भाग देना लन्थ विषठ आवें ऐसे ८००का भाग देके वार घटी पलविपलात्मक चार फल लाना उनमें जन्मसमयके वार इष्टपटी पल विपलादिक असे करना वर्ष प्रवेशके वारादिक हों)॥६॥ शिवना मताब्दाः स्वखाहीन्दुलवाव्या जन्मतिथ्यन्वित तास्तेषु खाग्निशेषेऽन्दवेशतिथिः ॥७॥ ग्यारह गुणे किये हुए गवाब्दोंमें अपना १७० एकसो ससरवां भाग युक्त करना और जन्मतिथि मिलामा तीस ३० का भाग देना शेष बचे वह वर्षप्रवेशकी तिथि नानना ( मसान्दोको ११ गुणे करके २ जगे लिखना एक जगे १७० का भाग देना उन्ध भावे वह दूसरी जगे युक्त करना उसमें शुक्लपविपदाको आदि ले जन्मतिथिकी संख्या मिलाना ३० वीसका भाग देना शेष बचे वह शुक्ल प्रतिपदाको आदि ले वर्ष प्रवेशकी तिथि हो)॥ ७ ॥ कचिद्भूने भूयुते वा ॥ ८॥ कोई समय गणितसे लायी हुई वर्षप्रवेशको तिथिके दिन वर्ष प्रवेशका वार नहीं मिले तो आयी हुई तिथिमें एक घटा देना वा एक युक्त कर देना (विथिसे वर्षप्रवेशका वार पछि हो तो १ घटा देना आगे हो तो , मिला देना)॥८॥ जन्माकौशादियुग्वारतोऽन्दप्रवेशनिर्णयः॥ ९॥ इत्यब्दप्रवेशाध्यायः ॥२॥ अन्मसमयके स्पष्टसूर्य की राशि अंशके समान राशि और अंश और वर्षप्रवेशके वारसे वर्षप्रवेशका निर्णय नानना ( जन्मके सूर्यके राशि अंश और वर्षप्रवेशका वार ये तीनों जिस दिन मिळें उस दिन वर्षप्रवेश होगा) ॥९॥ उदाहरण। स्वस्तिश्रीसंवत् १९२८ शके १७९३ प्रवर्तमाने अमांतमाघकृष्ण ३ द्वतीया परं ४ चतुर्ध्या भौमवासरे चित्रानक्षत्रे श्रीसूर्योदयादिष्टघटयादि ५६ । ४८ । १८ स्पष्टार्क १० । १६ । ५३ ॥ ३९ । ल० ९ । २३, २८ ॥२९॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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