Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 97
________________ वर्षदीपकम् । अयजन्मानम्. रा१र/ शर चंद्र ५ । २९ । १९ । ४९ । समये ज्योतिर्विच्छ्रीनिवासशर्मणो जन्म। इस जन्मपत्रका वर्णपत्र अभीष्ट सक१८२१ का करना है इसलिये शके १८२१ मेंसे जन्मशक १७९३ घटाया २८ शेष बचे गताब्द हुए इनको १००७ से गुणे किये २८१९६ हुए इनमें ८०० आठसौका भाग दिया लब्ध ३५ वार आये शेष १९६ वचे इनको ६० साठ मुणे किये ११७६० हुए। फिर इनमें ८०० आठसौका भाग दिया लब्ध१४ घटी आयी शेष ५५० बचे इनको फिर ६० साठ गुणे किये ३३६००हुए ८०० का भाग दिया लब्ध पल ४२ आयी शेष • बची इसको ६० गुणी करनेसे • हुई ८०० का भाग दिया लब्ध ० शून्य विपल आयी । ऐसे आठसौका भाग देके लब्ध वार ३५ घटी३४पल४२ विपलात्मक चार फल आये इनमें जन्म समयके भौमवारके ३ इष्टघटी:५६पल ४८ विपल १८ मिलाये ३९।११ । ३० । १८ हुए वार ७ सातसे अधिक है अतः वार ३९ में सावका भाग दिया शेष ४।११। ३० । १८ ये वर्षप्रवेशके वार घटी पल विपल हुए, तिथिसाधन । गताब्द२८को १३ गुणे किये ३०८ हुए इनको दो जगे लिखे ३०८ एक जगे १७० का भाग दिया लब्ध १ एक आया यह ३०८ में युक्त किया३०९ हुए इनमें कृष्णपक्षकी ४ चतुर्थीका जन्म है इससे शुक्ल प्रतिपदासे ४ पर्यंत गिननेसे जन्मतिथि १९ हुई ये मिलाये ३२८ हुए इनमें ३० वीसका भाग दिया शेष२८बचे यह वर्षप्रवेशकी तिथि हुई शुक्ल प्रतिपदाको आदि ले गिननेसे अहाइसवीं कृष्णपक्षकी १३त्रयोदशीके आयी परंतु त्रयोदशीके दिन वर्षप्रवेशका वार बुध नहीं मिलता है इस कारण इसमें १ एक तिथि युक्त करनसे १४ चतुदेशी हुई। एवं तिथि निश्चय होनेके अनन्तर जन्म समयके स्पष्ट सर्यकी राशि १ रविवारसे वार जाते हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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