Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 75
________________ (७४) पत्रीमार्गप्रदीपिका। ३२ हुए। इनमें ८०० आठसौका भाग देके विंशोत्तरीदशावत वर्षादि ३७) ५ २५।२४। लाये इनमें भौमदशा ४ नक्षत्रकी है इसलिये चारका भाग दिया लब्ध वर्षादि०।१०।२३॥५१२१आये यह एक नक्षत्रकी भुक्त दशा हुई, तदनंतर यह चार नक्षत्रकी दशा है इसमेंसे १ हस्त नक्षत्र गत है इसकारण १ एकसे दशाके वर्ष ८ को गुणे किये ८ हुए इनमें चारका भाग दिया लब्ध २ वर्ष आये ये एक नक्षत्रकी ऊपरकी आयी हुई भुक्तदशा०।१०२३॥५१॥२१॥के वर्ष में युक्त किया सो वर्षादिक २।१०।२३।५१।२१ मौमकी स्पष्ट भुक्त दशा दुई । इसको भौमके दशाके वर्ष ८ मेंसे घटाये शेष ५।१।६।८।३९ भोग्यदशा हुई। शनिकी दशाका कल्पित उदाहरण. शनिकी अष्टोत्तरीदशासाधन आभजिन्नक्षत्र होनेके कारण भिन्नरीतिसे किया जाता है उसके बनानेकी युक्ति प्रथम कही ही है परंतु बालकोंके सुबोधार्थ उसका एक कल्पित उदाहरण कहते हैं.--स्पष्टचन्द्र ९।१६।४० ० इसकी कला१७२०० सवरह हजार दो सौ है यह कला पन्दरा हजार दोसौ१५२००० से अधिक है इसकारण चंद्रकी कला १७२००मेंसे १५२००।०पन्दराहजार दोसौ घटा दियेशेष२००००कला बची इसमेंसे पूर्वाषाढाकेध्रुवक खंडके अंक८००० आठसौ घटाये शेष१२००००बचे इसमें से फेर उत्तराषाढाके खंडके अंक६०० छसौ घटाये शेष ६०००बचे इसमेंसे फेर अभिजितके खंडके अंक२५३।२० घटाये३४६ । ४० शेष बचे इसमेंसे ४ चतुर्थ खंड श्रवणके अंक७४६ । ४० नहीं निकलते हैं, इसलिये ये अशुद्धखंड हुआ शेष कला३४६१४०को३०वीस गुणा करनेसे १०४००० हुए इनमें अशुद्ध खंड ७४६१४० का भाग देके मासादि चार फल लाना है परंतु ये दोनूं भाज्य भाजक है कलादिक है इसलिये सवर्णित किये भाज्य ६२४००० भाजक ४४८०० सवर्णित हुए भाज्य ६२४००० में भाजक ४४८०० का भाग देके मास दिन घटी पठात्मक चार फल लाये १३ । २७ । ५१ । २५ आये-मास १३ बारासे आधिक हैं इसकारण १३ में, बाराका भाग दिया लब्ध १ वर्ष शेष १ मास हुआ । ऐसे वर्षादिक ॥१॥ २७ ॥ ५१ । २५ आये इनमें पूर्वाषाढा उत्तराषाढा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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