Book Title: Patrimarg Pradipika
Author(s): Mahadev Sharma, Shreenivas Sharma
Publisher: Kshemraj Krishnadas

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Page 73
________________ (७२) पत्रीमार्गपदीपिका। योगिनी दशाका उदाहरण । जन्म नक्षत्रकी संख्या १४ में तीन मिलाये १७ हुए आठका भाग दिया शेष १ बचा इसलिय १ पहली मंगला दशा वर्षकी में जन्म हुआ, इसके वर्ष १ एकसे चंद्रमाकी कला १०७५९ । ४९ के आठसौका भाग देनेसे शेष बचे ३५९ । ४९ इनको गुणे किये ३५९ । ४९ हुए, इनमें ८०० आठसौका भाग दिया लब्ध • शून्य वर्ष आया, शेष ३५९ । ४९ को क्रमसे १२ । ३० ६० । ६०गुणे करके ८००का भाग देके विंशोत्तरीवत् मासादिक लाये यह योगिनी मंगलाकी भुक्त दशा हुई ० ।५। ११ । ५५। ३ इसको मंगलाके वर्ष १ मेंसे हीन किया शेष ०। ६।१८। ४ । ५७ यह भोग्य दशा हुई। योगिनीदशाचक्रम्. मं.मो. पि. | धा. | भ्रः. | भ. । र. ग. | म. ब. ] पयो. गतवर्षा. १९२८/१९०९/१९३११९३४१९३८१९४३/१९४९/१९५६१९६४| संपत् १७९३ १७९४ १७९६ १७९९ १८०३ १८०८/१८१४ १८२१ १८२९ |शक. ४ ५८ उत्तीना. ५८ | ५८ । ५८ . ५८ | ५८ । ५८ | |श्रे. | ने. | श्रे. | ने. | श्रे. | ने. | श्रे. ने. फलम् अष्टोत्तरीदशा बनानकी रीति कहत हैंप्रथम चंद्रमाकी कला करना उसमें८०० आठसौका भाग देना, जो लब्ध आवे वह गत नक्षत्र जानना, शेष कला बचे उसको श्लो० ४३ के अनुसार जिस ग्रहकी दशामें जन्म हुआ हो उस ग्रहके दशाके वर्षोंसे गुणन करके आठसौ ८०० का भाग देके विंशोत्तरी दशावत् वर्षादिभुक्त दशा लाना । तदनंवर उस भुक्त दशामें जितने नक्षत्रकी दशा हो उतनेका (चार नक्षत्रकी हो तो ४ चारका तीन ३ की हो वो ३ तीनका ) भाग देके वर्षादिक ५ फल लाना. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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