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भाषाटीकासहिता।
(८९) आवे वह दूसरी नगे लिखे हैं उसमें युक्त करना और उसके ६३ तिरसठका भाग देना लब्ध आवे वह ऊनाह जानना । ऊनाहकों उपर लिखे हुए अहर्गणमें युक्त करना और ३० तीसका भाग देना शेष बचे उनमै १ एक मिलाना सो शुक्ल प्रतिपदाको आदि ले वर्षप्रवेशकी तिथि हो और लब्ध आवे वह मासगण जानना-फिर मासगणको नीचे लिखना। और उसको दोरगुणा करना, फिर उसमें ६६ छासठ मिलाके दो जगे लिखना एक जगे ९२८ नौसो अहाईसका भाग देना लब्ध आवे वह दूसरी जगे लिखे हुएमेंसे हीन करना शेष बचे उसके ६७ सतसठका भाग देना लब्ध आवे वह ऊपर लिखे हुए मासगणमेसे निकालना और उसमें १२ बारहका भाग देना शेष बचे यह चैत्र शुक्ल प्रतिपदाको आदि ले गतमास जानना और लब्ध आवे वह मवाब्द समूह जानना । उन गताब्द समूहमें ११०५ ग्यारहसौ पांच मिलानेसे वर्ष प्रवेशका शालिवाहन शक होता है ॥ ५२ ॥ ५३ ॥
गणेशदैवज्ञः। विश्वंद्वग्न्यरुणैर्युक्तो १२३११३ ग्रहलाघवजो गणः। चक्रघ्नं नृपखाब्ध्याव्यं ४०१६ब्रह्मतुल्यो गणो भवेत् ॥५४॥
- इत्यागाम्यब्दप्रवेशः । अब ग्रहलाघवके अहर्गणपर ब्रह्मतुल्यका अहर्गण साधन करनेकी युक्ति गणेशदैवज्ञ कहते हैं:-ग्रहलाघवके अहर्गणमें १२३११३ मिलाके फिर उसमें चक्रसे ४०१६ को गुणन करके मिलाना सो ब्रह्मतुल्यका अहर्गण होगा ॥५४॥
उदाहरण । ग्रहलाघवका अहर्गण ४०३९ में १२३१.१३ मिलाये १२७१५२ हुए, इनमें ४०१६ को चक्र ३१ से गुणन करनेसे १२४४९६ आये इनको युक्त किये २५१६४८ हुए यह ब्रह्मतुल्यका अहसण हुआ। इसके नीचे जन्मसमयकी इष्टघटी ५६ पल ४८ विपल १८ लिखनेसे २५१६४८॥५६॥ ४८१८सावयवब्रह्मतुल्यका अहर्गण हुआ।ऐसे प्रथम ब्रह्मतुल्यका अहर्गण साधन किया । अब आगामि वर्ष३१मा साधन करना है उसका उदाहरण यह है दिना
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