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भाषाटीकासहिता।
एवं गुरु वक्रगति है इसकी आयुको श्लोक ३६ के अनुसार ३ तीनगुणी करनेका और उच्चराशिका है इस कारण फिर ३ तीनगुणी करनेका और यही गुरु वर्गोत्तमांशका है इसलिये फिर२ गुणी करनेका योग३ तीन प्राप्त हुए, हैं अवएव "द्वित्रिघ्नवायां त्रिगुणं सकदै " इसके अनुसार गुरुकी वर्षादि आयु ३।२।१७ । २५॥ ४८ को एक ही बार ३ गुणी की ९ । ७ । २२। १७ । २४ हुई परंतु गुरु शुभग्रह है और ७ सप्तम स्थानमें स्थित है इसकारण इसमेंसे अपना बारहवाँ हिस्सा ०।९। १९ । २१ । २७ हीन किया ८।१०।२। ५५॥ ५७ ये गुरुकी स्पष्टायु हुई और शुक्र स्वद्रेष्काणका है इसलिये शुक्रकी आयु. ८ । २३ । २ । २४ को श्लोक ३६ के अनुसार द्विगुण करनेसे १।५। १६ । ३।४८ आये ये शुक्रकी स्पष्टायु हुई। एवं शनि बारहमें स्थानमें स्थित है
और यह अशुभ ग्रह है इसलिये इसकी आयु ५।९ । ५! २४ । मेंसे सर्व (पूरी) आयु हीन की शेष ० । । । । • यह शनिकी स्पष्टायु हुई। वा लग बलवान् है इसलिये उनकी वर्षादि आयु ४ । । १५। २७ । ० के वर्षके ४ अंकमें लग्नकी राशिके समान वर्ष ९ युक्त किये १३ वर्ष हुए, शेषमासादिक • ।१५। २७ । ० में लग्नके अंशादिक २३ । २८ । ३५ । को बारह गुणाकरके आये हुए मासादि ९।११। ४३ । • युक्त किये १३॥ ९ । २७ । १० । • ये वर्षादिक लग्नकी स्पष्टायु हुई ॥ इत्यायुर्दायः ॥ स्पष्टायुयोग ६१।९।। ३२३० ॥
अथ स्पष्टांशायुचक्रम् । र. चं. | मं. | बु. गु. | शु.|श. | ल. ए.
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४/१/१०/२/१०/५
१८/२१/१२/२१/
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दशासाधनमाहतत्रादौ ६विंशोतरी दशा। रखेः षडिन्दोर्दश १० सप्त ७ भूभुवो । गजेंदवो-१८ऽगोर्धिषणस्य षोडश १६॥
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