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भाषा टीका सहिता ।
( ५७ ) हैं, इनका योग किया तो ११४ आये, ये १२० से अल्प हैं, इसलिये मध्यवय में मध्यम फल होगा। इसी प्रकार वृश्चिक ३८, धन ३९, मकर २९ कुंभ ३५ राशियोंकी रेखाका योग किया तो १४१ आये, ये १२० से अधिक हैं, इसलिये अन्त्य वयमें सौख्यार्थप्राप्त्यादि श्रेष्ठ फल होगा, ऐसे ही सबमें जान लेना । इति रेखाष्टकम् । समुदायाष्टवर्ग कुंडली.
आद्यावस्था
१३१
श्रष्ठ.
३३
११३) ३९श९
स ३५
शु१० ल २९
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१
३४
X
3 ३१
३५
३४
११४
५
२२
शुभाशुभफलचक्रम् |
मध्यावस्था
နု
२७
मध्यम
अन्त्यावस्था
१४१
श्रेष्ठ.
अथ राश्मिसाधनमाह ।
सत्रिभं सायनार्क सूर्यस्य व्यकेंन्दु चन्द्रस्य मध्यस्पष्टयोयोंगाईं चलोच्चे हीनं भौमादिकानां चेष्टाकेंद्रम् ॥ तद्वसोर्ध्व मिनभा च्छुद्धं शेषर्क्षे सैकम् अंशाद्या द्विघ्ना चेष्टारश्मिः ॥ ३० ॥
अब रश्मिसाधन कहते हैं: - अयनांशयुक्त किये हुए स्पष्ट सूर्य में तीन राशि युक्त करे तो सूर्यका चेष्टा केंद्र होता है और स्पष्टचंद्रमेंसे स्पष्ट सूर्य हीन करने से चंद्रका चेष्टा केन्द्र होता है और भौमादिक ( भौम, बुध, गुरु, शुक्र, शनि ) मध्यम ग्रहका और स्पष्टग्रहका योग करके अर्ध (आंधे) करना और अपने अपने चलोच (शीघ्रोच्च) में हीन करना ( सोचना ), सो भौमादि पंचताराग्रहों का चेष्टा
१ सोमदैवज्ञः -- " मध्यमार्कसहितं चलकेन्द्र स्यादूबुधस्य च सितस्य चलोच्चम् । मेदिनीतनयजीवशनीनां मध्यमार्क उदितं च चलोच्चम् ॥ " अर्थात् बुध शुक्र के मध्यम शीघ्र केंद्र में मध्यमसूर्यको मिलानेसे बुध शुक्रका शीघ्रोच होता है और मंगल गुरु शनिका मध्यम सूर्य शीघ्रोच होता है ।
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