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पत्रीमार्गप्रदीपिका।
उदाहरण । सूर्यरेखाष्टक करना है-यहाँ सूर्य कुंभराशिका है, अतएव कुंभराशिको आदि ले जन्म कुंडली ग्रहसहित लिखके श्लोक २२ के अनुसार शुभफलप्रद स्थानोंम रेखा, अन्यस्थानोंमें शून्य लिखी सब रेखाका योग किया तो ४८ हुआ। यह सूर्यका अष्टवर्ग हुआ । इसी प्रकार शेष ग्रहोंके अष्टवर्ग जानना।
रेखाष्टकचक्रम् गु| चं शभुलरम
७ /८/९१०/११
ॐ
३३५/६/७/३/२/५४८
सूर्याष्टवगैक्य ४८
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४|१|७
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1०००००००००
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८
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५७/५३४५
Lo०००००
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५३|४|४|५३
५
३|६|२
३|४|३|३|६|५
સાબરર રરરર રરર ૧૦ ન
समुदायाष्टवर्ग-उदाहरण। जैसे मेषराशिके सूर्याष्टवर्गमें रेखा ३, चंद्राष्टवर्गमें ६, भौमाष्टवर्गमें ४, बुधाष्टवर्गमें ५, गुरुके अष्टवर्गमें ५, शुक्राष्टवर्गमें ६, शनिके अष्टवर्गमें २, लग्राष्टवर्गमें रेखा ३ है। इन आठ ही वगाँकी मेषराशिकी रेखाका योग किया दो ३४ हुए, इसी प्रकार बारहों राशियोंके अष्टवर्गकी रेखाका योग किया, इसको समुदायाष्टवर्ग जानना । इस समुदायाष्टवर्गमें मीनराशिम रेखा ३०, मेषमें ३४, वृषभ, ३२, मिथुनमें ३५ रेखा हैं, इनका योग किया १३१ आये । ये १२० से अधिक हैं, अतः प्रथमवयमें सुखार्थ वृदयादि श्रेष्ठ फल होगा । एवं कर्कमें ३३, सिंहमें २२, कन्या, २७, तुलामें ३४ रेखा
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