Book Title: Nay Rahasya
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Andheri Gujarati Jain Sangh

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Page 16
________________ परिशिष्ट १-न्यायरहस्ये उद्धत साक्षिपाठअकारादिक्रमः पृष्ठांकः उधृतांशः १४२ अत्यन्ताऽसत्यपि-(खंडनखंडखाद्य-१) १०९ अत्र चाद्या नामादय-(तत्वार्थसूत्र १-५-वृत्ति) ९६ अर्थाभिधानप्रत्यया-(. .. ) ११८ अर्थानां सर्वै कदेश-(तस्वार्थभाष्य १-३५) ३२ अर्पिताऽनर्पितसिद्धः (तत्वार्थ-५-३१) ११७ अहव महासामन-(हिन्दी) (विशेषा० भाष्य-२२०५) १६९ अहवा पच्चुप्पन्नो (विशे० माष्य-२२३१) १५३ इच्छइ विसेसियतर (अनुयोगद्वार-सू० १५२). . ३७-१४९ - उजुसुअस्स एगे० ( , ,, १४) ११ उवएसो सो णओ (आव० नि०-१०५४) १८५ एवं जीवं जीवो (विशे० भाष्य-२२५६) ९९ जत्थ वि य ण० (अनुयोगद्वार सू०-७) ०७-११० जीवो गुणपडिवन्नो (आव० नि० ७९२) १०८ णामाइतियं दब० (विशे० भाष्य-७५) ९४ णेगेहिं माणेहिं (अनुयोगद्वार-सू०१३६) १८९ तिक्काले चदु पाणा (द्रव्यसंग्रह–१८९) १७६ दव्वं पज्जाओ वा (विशे० २२३७) (हिन्दी) ४१ दासेन मे खरः ( ) ६ नयाः प्रापकाः.......(तत्त्वार्थभाष्य १-३५) १२० नाम आवकहियं (अनु० सू०-११) ९४ निगमेषु येऽभि-( ,, ,,) १३६ पच्चुप्पण्णग्गाही. ( , -१५२) ...१७४ पलालं न दहत्यग्नि-( ) २७ भागे सिंहो नरो-( ) १०३-१०९ भावं चिय सद्दणया (विशे०-२८४७)

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