Book Title: Mahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Author(s): Vaktavarlal Mahatma
Publisher: Vaktavarlal Mahatma

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Page 11
________________ (वख्तावरलाल का जीवन चरित्र) इस व्यक्ति का जन्म विक्रम संवत् १९२३ का भाषाद कृष्णा १२ सोमवार को हुआ दो वर्ष के बाद मातेश्वरी का परलोक वास होगया, और सात वर्ष की भायु में पिता भी परलोक वास कर गये । इस संकटमय अवस्था का समय श्रीमान राय पन्नालालजी सी. आई. ई. प्रधान रियासत मेवाड़े व इनके भ्रातागणों व श्रीमान महताजी वख्तावरसिंहजी व उनके _सुपुत्र कॅवर गोविन्दसिहजी की सहायता से व्यतीत हुआ । इस बाल्यावस्था में उस जमाने मुआफिक सामान्य पढ़ाई की गई । वि० सं० १९३६ का आसाढ़ मास में राज श्रीमहक्मे खास में बजुमरे अहल्कारों में मुलाजिम हुमा । वि० सं० १९४२ का मृगशीष मे पहला विवाह कांकरोली मे श्रोसबाला अवटंकी गौत्तम गौत्री नाथूलालजी की कन्या से हुआ । इनसे वसन्तीलाल का जन्म वि० सं० १९४६ में हुआ । इनका अन्तकाल वि० सं० १६५७ में होगया। फिर दूसरा विवाह प्राम करेड़ा राजाजी का में गौतम गौत्री ओसवाल अवटंके रामचन्द्रजी की कन्या से हुआ । इनसे एक बाई हुई और वि० स०६८ में इनका इन्तकाल होगया। तब फिर तीसरी शादी चाणसमा ई. बड़ोदा गुजरात में पुनम्या अवटंक के मढर गौत्र में पं० ताराचन्दजी की कन्या से हुई । इनसे गनपतलाल का जन्म वि० सं० १९७० का मृगशीर्ष शुक्ला ६ बुधवार के दिन हुआ पिताजी का परलोकं वास वि० सं० १९३० में हुभा था। उस भरसे में ज्यो २०) मासिक ताम्र पत्र के मिलते थे

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