Book Title: Mahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Author(s): Vaktavarlal Mahatma
Publisher: Vaktavarlal Mahatma

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Page 44
________________ (७०) का लिखा हुआ पाया है और विक्रम सम्वत से २४१ वर्ष बाद बल्लभो सम्वत का चलना इतिहास वेताओं ने माना है । डाक्टर जी बुलर ने एक और नये पत्र से मालुम किया कि छठे शिक्षा दीत्य जो हाल की फहरिस्त में ध्रुव भट के नाम से कहलाया जाता है । इसी तरह एम. यू. जैनी जेक्ट ने सन १६३६ इम्वी विक्रम सम्वत १८९३ में यह बयान किया है कि चीनी यात्रि हुएन्सग भी इस राजा को उसी नाम से जाना ताथा जन की उसने ६३६ इ. वि० सं० ६६६ हिज्री १८ के थोडे समय पीछे उक्त राजा से मुलाकात की थी. देखो वीर विनोद नामी वृहत इतिहास मेनाइ आगे मैं शन्त्रुजय महातम का संक्षेप वर्णन करता हूँ इस ग्रन्थ को पहले श्री युगादि भगवान की भाज्ञा से पुण्डरिक नामा गणधर ने जगत कल्याणार्थ देवताओं से सत्कार पाया हुआ सवालक्ष श्लोक में रचा उसके पश्चात श्री महावीर स्वामि के पन्चम गणधर सुधर्मी स्वामि जो माधुनिक निग्रन्थ सम्प्रदाय के अधीनायक थे । उन्होंने संक्षिप्त रुपसे चोइस हजार श्लोक का बनाया इसके पीछे १८ राजाओं का अधिनायक सोराष्ट्र देशके महाराजा ने शन्त्रुनय का उद्धार किया वो शिला दीत्य छठे के आग्रह से (सर्व अंगो सहित योग मार्ग को सम्पूर्ण जानने वाले स्याद वादमें बडे २ बौधो का मद सताने वाले मिशाल भोग छता उसकी इच्छा का तदन त्याग करने वाले शुद्ध चारित्र से निर्मल अङ्गवाला अनेक प्रकार की लब्धियों से युक्त वैराग्य के समुद्र, सर्व विद्याओं में निपूर्ण और राज गच्छ के धारण करने वाले महात्मा श्रीधनेश्वर सूरि, ने प्राचीन ग्रन्थों में से सार भूत लेकर शन्त्रुजय मह म

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