Book Title: Mahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Author(s): Vaktavarlal Mahatma
Publisher: Vaktavarlal Mahatma

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Page 45
________________ (1) यो थारो नहको मारे चेनो ठीकाणा का हकदार वास्ते लीदो मो माग ठीका गणागे मालक यो लडको है, मै मारी राजी खुशी से रखा, इबाबत माहे कोई भाइ गगस्यो दखल करवा पावे नही, इसमज मुनफा दस्तावेज तो लडका का पारीस को करदे, और मुनासिब से नालर वांटे और बीनको रखना जाहिर करदे यो नहको भटर कजोरे चेजो वे चुमे जिस दिन जात वीरदरी का कोई मटारक जी के नाम कागज लीखे जिसमें वीन लड़के को शिष्य करके नाम देवे चेलो राख्या बाद मुनामीच जाण दीक्षा फा सुमहोग्त विचार के गनपति स्थापन करे, जीतना विवाह का मामान होवे जीतना करे तब दीक्षा का सुमहोरत का दिन आवे जिम दिन वीन का पाग अगर क्षक होवे सो उतार लेवे पीछे उनको गुरु होवे सो गुरु मन्त्र सुगावे जीदन श्री."जीमाहे सुद्ध सालो आवे सो ओडावे जोदन सु पछेडी धारणा करे और लीस गेज से श्रीजी में प्राशीर्वाद दे, वानकी बैठक पर साबीत होजावे, इतनी वीधान करा पेली श्री. "जी में आशीर्वाद देणो गेर मुनामीब है और जीदन दीक्षा मिल जावे जीदिन सुनीखावट माहे प्राचार्य जी कर के नाम लिख्यो जावे जब वो चेलो भटारकजी गेर हाजर हुमा ठिकाणा रो हकदार होवे कदाचत भटारकजी गेर हाजर हुवा बाद चेला को गादी बैठावे जीरी विगत- - श्रवल तो मेवाड मालवो आमद अणाती नही देसा माहे मटार जीरा दोही ठीकाणा है, खुद उदेपुर मध्ये सो अलग २ गच्छग है एक तो नेणावाल गच्छ, दुमरा कचना गच्छ रा है दोनो ही का कुरव कारण :रा हमरजादभेट तीन ही देसा माहे

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