Book Title: Mahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Author(s): Vaktavarlal Mahatma
Publisher: Vaktavarlal Mahatma

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Page 58
________________ ( १४३ ) दूसरा परवाना: स्विरूप श्री राजराजेश्वर महाराजाधिराज महाराजाजी श्री विन यसिहजी महाराज कुँवार श्री जालमसिंहजी वचनायत महात्मा खरतरा राजसिहजी ने हमारा कुलगुरु छो सो थारा बेटा पोता ने हमारा मान्या जावसी सं० १५४६ भाद्वा विद ६ मुकाम पाय तगत जोधपुर । महाराजाधिराज मानसिंहजी साहेबो ने कुल की वंशावली पर गाव एक बृजपुरो भेंट कीदो जो आजतक कब्जे में है । ठिकाना पोहकरण का परवाना सिद्धश्री राव बहादुरजी ठाकुरा साहब श्री मंगलसिंहजी कंवर जी श्री चेनसिहजी भंवरजी श्री भवानीसिंहजी राजस्थान पोखरण खाप चापावत • विट्ठलदासोत लिखावता कुलगुरु महात्मा खरतरा आनन्दीलालजी बेटा विरदीचंदजी रा पोता रघुनाथमलजी सूं वंदना वाचजो तथा थें मारा सदाबंध सुं कुलगुरु छो सो म्हारा वंशरा चांपावत विटुलदासोत पीढ़िया लगत थारा चेटा पोता ने मान्या जावसी श्राप कुलगुरु पूजनीक छो सं० १९८४ का मिती वैशाख सुद १४ दः पंचोली किशनलाल रा छे श्री रावरे हुक्म सु । रास ठिकाना का परवाना: स्वरूप श्री राव बहादुर ठाकुर साहब राज श्री नाथूसिंहजी पाहव कंवरजी श्री बहादुरसिंहजी राजस्थान रास खांप उदावत जगरा ' नोत लिखावता कुलगुरु महात्मा खरतरा आनंदीलालजी वेटा विरदी

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