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स्वरुपसिंहजी व जोधपुर नरेश आदि बड़े २ नृपतियों की सेवा में हाजिर हुए इनको सीतामोउ रईस श्री राजसिंहजी ने मोजे भुवाला में जागीर वक्षी । सं० १८६४ में व संवत् १६१६ में रतलाम दरवार श्री रणजीतसिंहजी ने मोजे इटावा में जागीर वक्षी व संवत १८६८ में जड़वासे महाराज तख्तसिंहजी से जागीर पाये व पोलिटिकल एजेन्ट गवर्नर जनरल सेन्ट्रल इण्डिया मिस्टर हमिलटन साहब वहादुर के साथ रह कर सेन्ट्रल इण्डिया के इतिसास व इस तरफ केण्टपतियों के खानदान की पूरी २ वक्रफियत दी व इनके बनाये हुए वंश वृक्ष अभी तक ए० जी० जी० के दफ्तर में मौजूद हैं व जब कभी रईसों में गोद लेने व हक्क हकूक के विषय में झगड़ा पड जाता है तो इस वंश-वृक्ष को ही सच्चा मान कर इसी के आधार पर फैसला होता है । साहब बहादुर ममदूह ने अपनी कलम से सार्टीफिकेट में “This is a free Bathaur Kalquru." ऐसा नोट किया है व समाचार पत्रों ने व इतिहासकारों ने समय पर आपके विषय में लिखा है--
इनके पुत्र केसरसिंहजी हुए यह महाशय महाराजा होल्कर शियाजीराव के पास रहे व इनके साथ जोवपुर महाराजा जसवन्तसिंहजी साहब से मिले व वर्तमान संधिया महाराज के जन्मोत्म्य में शरीक होके महाराजा मावोराव सेंथिया से मिले। वहां से मान पाये व जोवपुर महाराजा साहब श्री सरदारसिहजी की शादी उदयपुर दरबार महाराणा सरं फतहसिंहजी साहब के वाईजी साहब के साथ हुई । उस उत्सव में जोधपुर गये व मान पाये । सं० १९८१ में श्रीमान् बीकानेर नरेश श्री गगासिंहजी ने नहर खौली (ोपनसिरेमनी) के जलसे में पधारे श्रीमान् वीकानेर नरेश ने वायसराय साहब वहादुर श्रीमद इरविन व लेडी साहिवा ने व पञ्जाव गवर्नर जनरल