Book Title: Mahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Author(s): Vaktavarlal Mahatma
Publisher: Vaktavarlal Mahatma

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Page 64
________________ ( १४६ ) वंशावली में नामा मंडे वो सत्कार श्रीमन्त महाराजाधिराज महाराजाजी श्री श्री १०८ श्री. नंत हिज हाइनेस सर सजनसिंहजो साहव बहादुर जी० सी० एस० आई. के. पी. एम आई. के. सी. वी. ओ. एडी सी टु हिज गयन हाईनेम दो प्रिन्स ऑफ वेल्स की सेवा में नेजसिह वल्द भेरजी कुलगुरु मा. हाल रतलान ने एक दरख्वास्त नामा लिखाने वावत पेश होने से श्रीजी ने कराये खावन्दो ता. १-६-३३ ईस्वी मिती भावा मुढ १२ सं. १६६ शुक्रवार के सुवह १० बजे का मुहुर्त होने से वंशावली वंचने की तजवीज महल रणजीत-विलास के पूर्व जानीय ऊपर के गोखड़े में की गई। पूजन के सामान का प्रबन्ध मारफत मुन्मरिम जागीरदारान के किया गण । वहाँ श्रीजी हजूर माहब वहादुर मय श्रीमान् बड़े महाराजकुंवार श्री लोकेन्द्रसिहजी साहव और छोटे बापूलालजी श्री चंद्रकॅवरजी साहब गोखडे में विराजमान हुए, वाट कुलगुरु तेजसिंहजी मदनसिंहजी को गोखड़े में विठा कर सामने एक बाजोट के ऊपर वंशावली रखी गई और पूजन विधि सहित श्रीमन्न वढे महाराजकुँवार साहव के हाय से श्रीमती छोटा बापूलालजी श्री चन्द्रकुंवर साहिबा के हाथ से पूजन हुई भेंट ५) रुपये श्रीफल एक प्रसाद ५ पाँच सेर पूजन कराने में गुरु भागीरथजो और दाना दीक्षित मुन्दरवक्षजी थे। बाद में श्रीमन्त वढे महाराजकुँवार साहब व श्रीमती छोटे वापूलालजी साहवा ने कुलगुरु तेजसिंहजी के तिलक किया बाद में मदनसिंहजी के तिलक किया इसके बाद तेजसिंहजो ने श्रीमान् श्री हजूर साहव के तिलक किया । फिर महाराजकुँवार साहव के व छोटे वापुलाल के तिलक किया । पश्चात् वंशावली वंचनी प्रारम्भ हुई उस वक्त वहाँ पर दोबान साहब दरवार राय

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