________________
८०
मिसेस अनी बेसेन्टने होमरूल लीगकी स्थापना की और हिन्दुस्तान में राजनीतिक आन्दोलन जोरोंसे चलाया | सरकारने अन्हें नजरकैद कर दिया | अब असके लिये क्या किया जाय, यह सोचनेके लिये श्री शकरलाल कर बापूके पास आये । चापूने अन्हें सत्याग्रहकी सिफारिश करनेवाला पत्र लिखा । वह पत्र श्री शंकरलालभाभीने प्रकाशित कर दिया और सत्याग्रहकी तैयारी की। यह सब देखकर सरकारने मिसेस अनी बेसेन्टको मुक्त कर दिया । फिर तो आन्दोलनका रूप ही बदल गया । असहयोगके दिन आ गये । मिसेस अनी बेसेन्टने 'न्यू भिण्डिया' नामक अंक अंग्रेजी दैनिक पत्र चलाया । असमे बापूके खिलाफ रोज कुछ न कुछ लिखा जाने लगा । अक दिन असमें बहुत ही खराब लेख आया । मैंने बापूसे पूछा 'कलके 'न्यू अिण्डिया ' का लेख आपने पहा है १' बाप्पू कहने लगे - 'मैंने
"
'न्यू भिण्डिया' पढना कबसे छोड़ दिया है। जब तक कोभी खास दलील वाले लेख आते थे, मैं असे पढ़ता था । लेकिन जब देखा कि असमें मुझपर व्यक्तिगत टीका ही होने लगी है, तो मैंने पढ़ना छोड़ दिया । व्यक्तिगत टीका सुननेसे असका मन पर कुछ न कुछ असर होनेकी सम्भावना रहती है। पढ़ा ही नहीं, तो मनका सद्भाव जैसाका तैसा रहता है । अब यदि मैं मिसेस् बेसेन्टसे मिला तो मेरे मन में अनके प्रति जो आदरभाव है, भुसमें • कमी नहीं होगी ।
८१
आश्रमकी स्थापनाके दिन थे । हम कोचरबके बंगले में रहते थे । reat संस्थाके लिये धन भिकट्ठा करनेके लिये प्रोफेसर कर्वे अहमदाबाद आये थे । वे बापूसे मिलने आश्रममे आये ।
बापूने सब आश्रमवासियोंको अिकट्ठा किया और सबको झुन्हें साष्टांग नमस्कार करनेके लिये कहा । फिर समझाने लगे 'गोखलेजी दक्षिण
I
९९
>