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बहादुर देवीशंकरजी दवे व मेजर शिवजी परसनल असिस्टेन्ट जागीरदार साहब गजोड़ा मुरारीलालजी मुंसरिम जागीरदारान लक्ष्मीनारायणजी, सेक्रेटरी कोंसिल महाराज अमरसिंहजी, शिवनाथसिंहजी, मुनीम नन्दलालजी, सरदार भभूतसिंहजी, व्यासजी नाथूलालालजी चोपदारों के जगाशर याकूबजी वगैरह लोग हाजिर थे । वाद सुनने वंशावली दीवान साहब ने मुख्तसिर नाम लिखा कर मुहुर्तं किया वाद दरवार बरखास्त हुआ।
इसी तरह कुलगुरु होने बावतझाबुत्रा, कणेरी, आम्बासुखेड़ा, बरमाचल, धारसीखेड़ा श्रादि की
सन भी है:जैसे सरवण जागीरदार साहव ने लिखा
राजश्री ठाकुर साहब अमरसिंहजी स्वस्थान सरवणा कुलगुरु लालजी चिरंजीव धनराज भेरां से पायलागणो वंचसी अपरंच.॥ म्हारा पुरखाए थारा पुरखा का पग पूजा से थे मारे वंश लारे हो सपूत कपूत वेवेगा जाने मान्या जावांगा । थे राठोड वंशरा कुलगुरु हो सो थारा वंश सिवाय दुसरा कुलगुरू श्रावे तो मानागा नहीं और थांने हमेशा पुश्तदर पुश्त म्हारो थांणो वंश रहेगा जठातक मान्या जावांगा । मारफत ठाकुर साहव लालसिंहजी नकल तिरवाड़ी सदाशिव मिती चेत सुद ७ सं० १९४४ का
इसी तरह इडर मे भी बरताव है । कानोड़ (मेवाड़) रावतजी सारंगदेवोत खोप
प्रथम श्रेणी के सामन्त:सिधश्री महारावत श्री सारंगदेवजी वचनायतु गुरुजी हीरा है वाई उम्मेदकंवर री भरणावणी में गाम अचलाणा रा तलाव पार