Book Title: Mahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Author(s): Vaktavarlal Mahatma
Publisher: Vaktavarlal Mahatma

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Page 60
________________ ( १४५) आवे जद मंडाय दीज्यो अणारी मुरजादा माफक राखज्यो ए गुरु है मिति पोष विद १३ संवत् १९८६' का शनीवार । रावली सही। ठिकाना भादराजण - मरे पर ए कुलगुरु आपणा है सो इणाने मानस्यो । स्वरूप श्री राज श्री समस्था भाया जोग भादराजण थी ठाकुरा राज श्री इंद्रभाणसिंहजी लिखावता जुहार वाचज्यो अठारा समाचार श्रीजी रा तेज प्रताप थी भला छे राजरा सदा भला चाहिजे अपंच ॥ यापणा कुलगुरु महाराज खरतरा महात्मा श्री दीनानाथजी मूलजी अनीत्मलजी ये अापणा कुलगुरु है सदावंच सुं इणाने सारा भाई मानज्यो शीष नवावज्यो श्रोलाद रा नावा नहीं मंडाया होवे सो मंडाय दीज्यो सदावंच सुं श्रापणा है सो इणारी मुरजाद राखजो सं० १६०६ । असाढ़ विद ३ . ठिकाना रायपुर (मारवाड़):ठाकुरा राज श्री मावौसिंहजी राजस्थान रायपुर खांप उदावत राज सिंगोत लिखावता कुलगुरुजी महात्मा श्री दीनानाथजी सुं वंदना वारज्यो तथा श्राप म्हारा वंशरा राज मिंगोत पीढिया लगात आप रा बेटा पोता ने मान्या जासी यो परवानो श्री ठाकुर साहव रा हुक्म मुकीनो छ द मूथा मोकमचंद पंचोली हीरालाल रा.छे सं० १६११ भादवा विद में।

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