Book Title: Mahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Author(s): Vaktavarlal Mahatma
Publisher: Vaktavarlal Mahatma

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Page 55
________________ ( Eu ) पगार लब्ध समस्तोभद्रसूरय ऽपरनामारित्री चकवा वर राजहम चन्द्र योगे । श्री साडेर गच्छे कलिकाल गोतमावतार समस्त भविकजनमनोऽबुंज विवोधने का दिनकर सकल लब्धि निवान युग प्रधान । जितानेक वादीश्वर बुंद प्रणतानक नर नायक मुकुट कौटि धृष्ट पदाविंद । श्री सूर्य इव महाप्रसाद । चतुः षष्ठी सुरेन्द्र संगीमानं साधु वाद । श्री संडेरकीय गण बुधावतंस । भना कुनि सरोवर राजहंस यशोवीर कुलाम्बर नमो मणि सकल चारित्री चक्रवर्ती वक्त चूडामणि भ० श्री प्रभु श्री यशोभद्रसूरय ऽपरनाम ईश्वरसूरि तत्प? श्री चहुमान वंश भृगार लब्ध समस्त निरवद्य विद्या जलाविपार श्री श्री बद देवात्त गुरुपद प्रसाद रय विमल कुल चोधक प्राप्त परम यशोवाद भ. श्री शालिसरित श्री सुमतिसूरित• श्री शांतिसरित श्री ईश्वरसरि एवं० याम्म मनेक गुणानिगण रोहण गिरीणा म्हा सरिया वंशे.पुन श्री शालि सूरित श्री सूमतिसरि तत्पट्टालंकार हार भ० श्रा शातिसरि वराणा स परिकराणा विजय राज्ये अथेह श्री मेटपाट देशे श्री सूर्यवंशी महाराजाणा)विराज श्री शिलादित्य वंशे श्री गुहृदित राउल श्री बापाक श्री खुमाणादि महाराजन्वयेराणां हम्मीर श्री खेतसिंह श्री लखमसिंह, पुत्र श्री मोकल मृगाक वंसोद्योतकार प्रताप मार्तण्डावतार श्रा समुद्र महि मंडला खण्टल अतुल महावल राणा श्री कुम्भाजी पुत्र राणा श्री रायमल्ल विजयमान प्राज्य राज्ये तत्पुत्र महाकुँवर श्री पृथ्वीराजानु शासनात् श्री उवकेश वशेय भण्डारी गोत्रे राउल ओ लाखण पुत्र श्री मं० दूदवंशे मं. म्यूर सुत मं० सार्दुल तत्पुत्राभ्या मं० सीहासमंदाभ्या सद वाधव मं० कर्मसी गरा लाखादि सकुटुम्ब युताभ्या श्री नंदकुल वत्या पुर्या सं १६४ श्री यशोभद्रसूरि मंत्र शक्ति समानिताया त० सायर कारित देव कुली काद्यद्धारत सायर नाम श्री जीनवसत्या श्री आदिश्वरस्य स्थापनाकारिता कृतः श्री शातिसूरिभि इति लघु प्रशस्तिरियलि० आचार्य श्री डेश्वरसूरिणा उत्कीर्ण सूत्रधार सोमाकेन शुभं ॥

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