Book Title: Mahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Author(s): Vaktavarlal Mahatma
Publisher: Vaktavarlal Mahatma

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Page 14
________________ (१६) । कानून सभा तमाम इलाके मेवाड़ में दौरा किया। साथ में सवार पहरा, ऊंट, घोड़ा, सांडिया, चपरासी वगैरा थे। उस समय में ठिकाने उमरावान में से फोजदार कामदारी की तहरीरात इस माफिक हुई मसलन बेगम "सिद्धश्री मुकाम बेगम सुभसुथाने सर्व अोपमा बावजी श्री वख्तावरलालजी अन्डर सेक्रटरी वाल्टर कृत राज पुत्र हित कारिनी सभा बेगू से रावतजी श्री सवाई मेघासहजी का फौजदारी कामदारां लिखता जुहार वांचसी । अठाका समाचार श्रीजी की कृपाकर भला है । राज का सदा भला चाहिजे राज म्हारे घणी बात है। सदा हेत इकलास है ज्यूही रखावसी अप्रच"। ठिकाने हमीरगढ़ "सिद्धश्री महात्माजी श्री वख्तावरलालजी जोग हमीरगढ़ थी रावत श्रीमदनसिंहजी लिखता जैश्रीएकलिंगजी की वांचसी । अठाका समाचार श्रीजी की सुनजर कर भला है। राजका सदा भला चाहिजे । अपंच" | ठिकाना बोहड़ा से "सिद्धश्री मुकाम दौरा सुभसुथाने सरव श्रोपमा जोग बावजी श्री वख्तावरलालजी जोग बोहड़ा थो रावसजी श्री नाहरसिंहजो लि० जुहार पांचसी । अठाका समाचार श्रीजी की सुनजर कर भला है राज का सदा भला चाहिजे अप्रच। ठिकाने लणदा "सिद्ध श्री मुकाम लणदा सुभसुथानेक सरब अोपमा जोग बावजी श्रीवस्तावरलालजी जोग लणदा थी रावतजी श्री जवानसिंहजी लिखता जुहार वांचसी अठाका समाचार श्रीजी की सुनजर कर मला है। राजका सदा भला चाहिजे । अपच । रूपाहेली बड़ी "सिद्धश्री श्रीराजश्री वाल्टर कृत राज पुत्र हितकार नी सभा का अन्डर सेक्रेटरी श्री यख्तावर लालजी महात्मा जोग रूपाहेली कला से राजभी

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