Book Title: Mahatma Pad Vachi Jain Bramhano ka Sankshipta Itihas
Author(s): Vaktavarlal Mahatma
Publisher: Vaktavarlal Mahatma
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( ३६ ) .
कैलाश विमले रम्ये ऋषभोय जिनेश्वर । चकार स्वावतारं यो सर्वः सर्व गतः शिवः ॥
भवानी सहस्र नाम से "कुण्डासना जगद्धात्री बुद्धमाता जिनेश्वरी । जिनमाता जिनेन्द्रा च शारदा हँस वाहिनी ||
मनुस्मृति में कुलकरों के नाम दिये जिनको मनु कहते हैंकुलाविजं सर्वेषां प्रथमो विमल वाहनः । चक्षुष्माश्च यशस्वी वामिचन्दोधव प्रसेनजित् ॥ मरुदेवी च नाभिश्च भरते कुल सत्तमः । अष्टमो मरुदेव्यां नाभेर्जा उरुक्रमः ॥ दर्शयन वर्त्म वीराणां सुग सुर नमस्कृतः । नीतित्रय कर्तायो युगादौ प्रथमो जिनः ॥
भर्त हरिशतक वैराग्य पुराण -
एट्रो रागीषु राजते प्रियतमा देहद्धि घोरिहरो । नीरागेषु नो विमुक्त लालना सँगो नयम्मात्परः ॥ दुर्बार स्मरबाण पन्नग विष व्यासक्त मुधोजन | शेषकाम विबितोहि विषयाऩभोक्तु नमोक्तुक्षम ॥
दक्षिणा मूर्ति महस्र नाम से
शिवौवाचः - जैन मार्ग रतोजैनो, जितः क्रोध जितामतयः ॥
वैशम्पायन सहस्र नामकालनेमि निहावीरः शूरः शौरि जिनेश्वरः ।

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