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भविष्यत् और वर्तमान के भेद रूप है। (निय.३१) समय, निमेष, काष्ठा,कला,नाड़ी,दिन,रात,मास,ऋतु,अयन और वर्ष यह सब व्यवहार काल है। समयो णिमिसो कट्ठा, कला य णाडी तदो दिवारत्ती। मासोदुअयणसंवच्छरो त्ति कालो परायत्तो। (पंचा.२५) - अट्ट पुं न [अर्थ] कालार्थ, काल विशेष, काल में स्थित। (भा.३५) परिणामणामकालटुं। (भा.३५) कालायसन [कालायस] लोहे की बेड़ी। (स.१४६) सोवण्णियम्हि णियलं, बंधदि कालायसं च जह पुरिसं। (स.१४६) कालिज्जयन [कालेय] यकृत,जिगर,हृदय का मांसपिण्ड, कलेजा।
(भा.३९) कालिया स्त्री कालिका मेघ समूह, बादल। रागादि कालिया तह विभाओ। (स.ज.वृ.२१९) कालुस्स न [कालुष्य] मलिनता, कलुषपन, कलुषता।
कालुस्समोहसण्णा। (निय.६६) कि सक [क] करना। किज्जदि किज्जइ (स.३३२,३३४) किच्चा
(सं.कृ.निय.८३,प्रव.४) कि/किं स [किम्] कौन, क्या, क्यों। ता किं करोमि तुमं।
(स.२६७, भा.५) किंचि/किंचिवि अ [किञ्चित् किञ्चिदपि कुछ भी, कोई, थोड़ा । (स.३८,भा.१०३, पंचा.५९) उप्पादेदि ण किंचिवि। (स.३१०)
जम्हा सत्थं ण याणए किंचि। (स.३९०) किंणर पुं किन्नर] व्यन्तर देवों का एक समूह । (भा.१२९) किंणर
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